अजय बरोट नाम के 27 वर्षीय युवक को लर्निंग डिसअबिलिटी है. वह अपने चचेरे भाई की शादी के बाद चाहता था कि उसकी भी शादी हो. उसकी जिद के आगे और खुशी के लिए घरवालों ने अजय की बारात निकाली.

  •     गुजरात के साबरकांठा जिले में एक युवक की हुई अनोखी शादी
  •     दिव्यांग बेटे अजय की इच्छा को पूरी करने के लिए परिजनों की पहल
  •     पारंपरिक गुजराती शादी की तरह आयोजन, सिर्फ दुल्हन नहीं थी
  •     अपने चचेरे भाई की तरह खुद की बारात निकालना चाहता था अजय

साबरकांठा. गुजरात के साबरकांठा जिले से लगभग 22 किलोमीटर दूर एक गांव है चंपलानार. दस मई को इस गांव में एक अनोखी शादी हुई. बारात निकलने से एक रात पहले गरबा का आयोजन किया गया गया. 27 वर्षीय अजय बारोट को उबटन (हल्दी) लगाया गया. शुक्रवार को अजय शेरवानी पहनकर घोड़ी पर चढ़े उनके सिर पर फूलों से सजा सेहरा पहनाया गया. बारात में लगभग दो सौ लोग शामिल हुए. बारात अजय के घर पहुंची और यहां आठ सौ लोगों ने दावत का आनंद लिया.

इस बारात के सारे अनुष्ठान पारंपरिक गुजराती शादी की तरह ही थे, बस इसका एक अंतर था कि शादी के लिए कोई दुल्हन नहीं थी. दरअसल यह बारात बरोट परिवार ने अपने बड़े बेटे अजय की इच्छा को पूरी करने के लिए निकाली थी. अजय को लर्निंग डिसअबिलिटी है और वह अपने चचेरे भाई की तरह खुद की बारात निकालना चाहता था.

अजय के चाचा कमलेश बारोट ने बताया कि अजय को नृत्य का शौक है और वह गांव की कोई भी शादी कभी मिस नहीं करता. कमलेश ने बताया, ‘फरवरी में, मेरे बेटे की शादी हुई. अजय हमेशा चाहता था कि उसके लिए भी ऐसा आयोजन किया जाए. मेरे बेटे की शादी के बाद वह जिद करने लगा कि उसे भी शादी करनी है. अजय की जिद पर परिवारवालों ने फैसला लिया कि हम लोग उसकी वरघोड़ो (शादी की बारात) निकलवाएंगे. हमने शादी के निमंत्रण पत्र छपवाए थे, पुजारी बनकर सभी रस्में निभाईं और बारात और दावत का आयोजन किया. अजय पूरे दिन हंसता-मुस्कुराता रहा और बहुत खुश नजर आया.’

गुजरात राज्य सड़क परिवहन निगम में कंडक्टर विष्णु बरोट को अजय की बीमारी का पता तब चल गया था जब वह बहुत छोटा था. उन्होंने बताया कि उन लोगों ने हिम्मतनगर के एक विशेष स्कूल में भेजा गया लेकिन जल्द ही उन्होंने औपचारिक शिक्षा छोड़ दी. उसने बहुत कम उम्र में अपनी मां को खो दिया और उसके पिता ने दूसरी शादी कर ली. परिवार ने कहा कि अजय के लिए लड़की ढूंढना बहुत मुश्किल था. उसकी असली शादी नहीं हो सकती थी इसलिए हम लोगों ने उसकी बारात के सारे रीति-रिवाज करने का फैसला लिया.

विष्णु ने कहा कि अजय की यह बारात उन लोगों ने सिर्फ उसे खुश रखने के लिए नहीं निकाली बल्कि परिवार भी इससे खुश था. हम लोग भी अजय की शादी का अनुभव करना चाहते थे. उन्होंने कहा कि ऐसा करके उन लोगों का शादियों या उसकी भावनाओं का मजाक का कोई इरादा नहीं था. हमें खुशी हुई कि हमारे कई रिश्तेदार और ग्रामीण इस आयोजन का हिस्सा बने.