मनेंद्रगढ़। वन महोत्सव का आयोजन मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर कलेक्टर कार्यालय परिसर में वन विभाग ने बीते रोज किया। कैबिनेट मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल ने मियावाकी पद्धति के माध्यम से परिसर में पौधारोपण कर वन महोत्सव का शुभारंभ किया। परिसर में 2,500 पौधे 1×1 मीटर के अंतराल में लगाए गए हैं। इसके अलावा शहर के 4 और जगह पर मियावाकी पद्धति से रोपण किया गया है। अगले वर्ष ऐसी खाली पड़ी जमीन पर 25 और जगह मिनी फारेस्ट बनाने की योजना है। अर्बन हीट आइलैंड और हीट वेव से निपटने के लिए ये गेमचेंजर साबित हो सकता है ।
मियावाकी वृक्षारोपण क्या है
यह कम समय में सघन शहरी वन तैयार करने की जापानी तकनीकी है। स्थानीय जंगली पौधों को 1×1 मीटर की दूरी पर लगाया जाता है। कम दूरी होने के चलते पौधों में कम्पटीशन बढ़ जाता है और पौधे 10 गुना तेजी से उगते हैं।
मियावकी वृक्षारोपण के लाभ
परंपरागत वृक्षारोपण से 30 गुना अधिक कार्बन डाईऑक्साइड सोखता है। 30 गुना अधिक वायु और ध्वनि प्रदूषण को रोकता है। 2-3 साल में ही मिनी फारेस्ट बन जाता है। अर्बन हीट आइलैंड से मुक्ति। वातावरण को ज्यादा ठंडा करता है।
DFO मनीष कश्यप ने वन महोत्सव के माध्यम से जिले में मियावाकी पद्धति के बारे में बताया। आज मेट्रो सिटी में इस पद्धति के माध्यम से वानिकी की जा रही है। एक-एक मीटर के दूरी पर सघन पौधारोपण किया जा रहा है। इससे घना वन मिलता है, जिससे हमें शुद्ध हवा मिलता है। 30 गुना ज़्यादा कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है। इतना ही वायु और ध्वनि प्रदूषण भी कम करता है। मनेंद्रगढ़ शहर में इस वर्ष लंबा हीट वेव चली। इसी को ध्यान में रखते हुए इस विशेष रोपण को इस बार वन महोत्सव में शामिल किया गया।
बैकयार्ड को छोटे बगानों में बदला जा सकता है
वनमंडलाधिकारी मनीष कश्यप ने मियावाकी पद्धति के बारे में बताते हुए कहा कि इस विधि का प्रयोग कर के घरों के आस-पास खाली पड़े स्थान (बैकयार्ड) को छोटे बगानों या जंगलों में बदला जा सकता है। मियावाकी पद्धति के प्रणेता जापानी वनस्पतिशास्त्री अकीरा मियावाकी हैं। इसके माध्यम से जिले के छोटे-छोटे स्थानों पर मिनी फॉरेस्ट के रूप में विकसित करना है। इससे जिले को हिट वेव से बचाया जा सके। इस पद्धति से प्लांटेशन परंपरागत वृक्षारोपण से 10 गुना ज़्यादा तेजी से बढ़ते हैं। मनेंद्रगढ़ वनमंडल में इस वन महोत्सव में 5 मियावाकी पद्धति से रोपण किया गया। भविष्य में शहर के बीच ऐसे सभी ख़ाली पड़े जगहों पर मियावाकी लगाया जाएगा। पूर्व में भी डीएफओ मनीष कश्यप की ओर से सीड बॉल पद्धति से रोपण की शुरुआत की गई थी।
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