पुष्पेंद्र सिंह, दंतेवाड़ा। पोस्ट मैट्रिक छात्रावास गीदम के 50 से ज्यादा छात्र आज स्कूली ड्रेस में कलक्ट्रेट पहुंचे और अपनी मांगों को लेकर कलक्ट्रेट कार्यालय के सामने धरने पर बैठ गए। उन्होंने आश्रम अधीक्षक पर गंभीर आरोप लगाए और व्यवस्थाओं पर सवाल उठाए। छात्रों का कहना है कि आश्रम पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। देर रात हुई मूसलाधार बारिश के कारण छत का टुकड़ा सो रहे छात्र के ऊपर गिर गया। सौभाग्य से, मच्छरदानी लगी होने के कारण चोट गंभीर नहीं हुई, लेकिन एक छात्र के कंधे पर चोट आई है। इस समस्या को लेकर छात्र कलक्ट्रेट के सामने धरना दे रहे हैं और उनका कहना है कि बिना कलेक्टर से मिले वे वापस नहीं जाएंगे। छात्रावास की इमारत कभी भी बड़े हादसे का कारण बन सकती है।

छात्रों ने अधीक्षक सत्यभान भास्कर पर गंभीर आरोप लगाते हुए बताया कि अधीक्षक शराब पीता है और बच्चों के साथ गाली-गलौज करता है। अधीक्षक आए दिन आधी रात को बच्चों के कमरों में घुसकर उन्हें पीटता है। सोए हुए बच्चों को उठाकर डंडे और बेल्ट से मारता है। सभी बच्चे दहशत में हैं और हिम्मत जुटाकर आश्रम से निकले हैं। छात्रों का कहना है कि कलेक्टर से बिना मिले वे वापस नहीं जाएंगे और अगर अधीक्षक पर कार्रवाई नहीं हुई तो आश्रम में रहना मुश्किल हो जाएगा। कलेक्टर कार्यालय के बाहर बैठे छात्र नारे लगा रहे हैं, “कलेक्टर साहब आओ, दर्शन दो।”

बेदर्द अधीक्षक, नहीं पहुंचता कोई अधिकारी, शिकायत किससे करें

छात्रों ने मीडिया को बताया कि अधीक्षक की प्रताड़ना से तंग आ चुके हैं। सालों से अधीक्षक बेरहमी से पीट रहा है। आश्रम कहने को तो 100 सीटर है, लेकिन अधीक्षक ने आश्रम में कॉलेज के छात्रों को भी रखा है, जिससे भीड़ बहुत बढ़ गई है। एक बेड पर तीन-तीन बच्चे लेटते हैं। आश्रम पूरी तरह से जर्जर हो चुका है और छत से पूरी तरह पानी टपकता है। यह छत कभी भी गिर सकती है, जिससे बड़ा हादसा हो सकता है। इस समस्या को कई बार अधीक्षक से कहा गया, लेकिन उन्होंने अनदेखा कर दिया। डर और दहशत के कारण बच्चे कभी हिम्मत नहीं कर पाए बाहर निकलकर शिकायत करने की। आश्रम में कभी कोई अधिकारी नहीं आता। बच्चे मंडल संयोजक को तो जानते तक नहीं हैं। अधीक्षक का रवैया कभी छात्रों के साथ ठीक नहीं रहा।

अधीक्षक डॉन से सभी छात्र डरते हैं, मीनू के हिसाब से नहीं मिल रहा भोजन

छात्रों के आरोप यहीं नहीं रुके। उन्होंने कहा कि मीनू के मुताबिक कभी खाना नहीं मिलता। उन्हें हल्दी और नमक वाले पानी जैसा सूप मिलता है, जिसमें कुछ दाने ही होते हैं। सब्जी भी इसी तरह की मिलती है और अंडा तो कभी नहीं मिला। आश्रम में चार्ट तो चस्पा है, लेकिन अधीक्षक मीनू के अनुसार भोजन उपलब्ध नहीं करवाता। इसके पीछे की वजह है कि सभी छात्र अधीक्षक डॉन से डरते हैं।

पिछले तीन वर्षों में 20 लाख से अधिक का मरम्मत कार्य

जनपद पंचायत और आदिवासी विकास विभाग से यहां पिछले तीन वर्षों में 20 लाख रुपए से अधिक का मरम्मत कार्य हुआ है। इंजीनियर खान बताते हैं कि जनपद पंचायत ने लगभग 12 लाख से टाइल्स, पुट्टी, एलुमिनियम की खिड़कियां लगवाईं और अन्य मरम्मत कार्य किए। इस कार्य को तीन वर्ष हो चुके हैं। इसके बाद आदिवासी विकास विभाग ने भी कुछ काम करवाया, लेकिन उसकी लागत की जानकारी नहीं है। आदिवासी विकास विभाग के इंजीनियर नेताम ने कहा कि इस्टीमेट बनाया गया था, लेकिन काम नहीं हुआ था। यदि वहां काम हुआ है, तो मुझे जानकारी नहीं है।

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