मनोज अम्बष्ठ,पत्थलगांव. प्रदेश में विकास के दावे और स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खुल रही है. जशपुर जिले के पत्थलगांव विकासखंड अंतर्गत ग्राम बालाझार के पहाड़ी कोरवा बस्ती में एक गर्भवती महिला लीलावती बाई 2 किलोमीटर तक पैदल चलकर अस्पताल पहुंची. क्योंकि सड़क पक्की नहीं थी. लीलावती के परिजन किराये का वाहन लेकर अस्पताल जाने के लिए निकले, लेकिन रास्ता खराब होने की वजह से लीलावती कई घंटों तक सड़क में फंसी रही. लेबर पेन से तड़पती रही. फिर कुछ दूर बाइक में बैठकर गई फिर पैदल चलकर अस्पताल पहुंची. अस्पताल में जांच के दौरान पता चला कि उसके बच्चे की कोख में ही मौत हो चुकी है. अब इस मामले में पीड़ित महिला सड़क और सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही है.

दरअसल यह मामला रविवार की रात करीब दस बजे की है. ग्राम बालाझार के पहाड़ी कोरवा बस्ती में निवासरत गर्भवती महिला लीलावती को अचानक प्रसव का दर्द उठा. रात ज्यादा होने से महिला की स्थिति को देख परिजनों ने 102 महतारी एक्सप्रेस को फ़ोन किया, लेकिन फोन नहीं लगा. फिर उन्होंने अस्पताल में फोन कर एम्बुलेंस की मांग की, जिसमें उन्हें एम्बुलेंस भेजे जाने का आश्वासन तो मिला, पर सड़क नहीं होने की वजह से एम्बुलेंस उनके ग्राम तक नही पहुंच सका. गांव में सड़क बदहाल है तो वहीं मार्ग के बीच में 2 जगह पुल भी क्षतिग्रस्त है. जिसके चलते कोई भी चारपहिया वाहन नहीं पहुंच पाता है. इस बीच महिला का दर्द धीरे धीरे बढ़ता जा रहा था. गर्भवती महिला दर्द से कराह रही थी. परिजन महिला को अस्पताल ले जाने के लिए मशक्कत कर रहे थे.

गर्भवती महिला की स्थिति देख महिला को उसके परिवार वाले रोड़ तक कभी पैदल तो कभी ढोकर ले गए. इस दौरान लगभग 2 घंटे का समय लग गया. इस 2 घंटे में लगातार महिला दर्द से चीखती रही-रोती रही बिलखती रही. जैसे-तैसे महिला को मेन रोड़ तक ले जाया गया. जहां से निजी वाहन की मदद से महिला को तमता के शासकीय अस्पताल में भर्ती कराया गया.

खराब सड़क है असल  जिम्मेदार

तमता प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के डॉक्टर ने महिला को तो प्रसव कराकर बचा लिया गया, लेकिन नवजात की मौत हो चुकी थी. बच्चे की मौत के बाद परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है. वहीं महिला अब घर में है और स्वस्थ है. महिला के पति का कहना है कि इस घटना के लिए केवल खराब सड़क ही जिम्मेदार है जिसको यदि ढंग से बनाया जाता तो आज उनके बच्चे की मौत नहीं होती.

दो स्थानों पर टूटा है पुलिया

सड़क से अस्पताल तक मारुति वेन में महिला को ले जाने वाले शैलेश शर्मा ने बताया कि मेन रोड़ से बालाझार कोरवा बस्ती तक पिछले दो साल से सड़क नहीं है और दो पुलिया टूटा हुआ है. जिसे कोई ध्यान नहीं देता. जिसके चलते पिछले साल भी लोगों को बहुत तकलीफ झेलनी पड़ी थी.

महिला का बच्चा कोख में हो गया था उल्टा 

वहीं प्रभारी खण्ड चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर बसंत सिंह ने बताया कि महिला का बच्चा कोख में उल्टा था. गर्भवती महिला को पहले ही गायनेकोलॉजिस्ट को दिखाने की सलाह दी गई थी. रात को प्रसव सुरक्षित कराया गया, लेकिन बच्चा मृत निकला. यदि सड़क अच्छी रहती तो लेबर पेन होते ही समय पर महिला को यहां लाया जा सकता था. और कोई परेशानी होती तो रेफर भी किया जा सकता था.

मामले में सियासत शुरु

अब इस पूरे मामले में राजनीति भी शुरू हो गई है और कांग्रेस जिलाध्यक्ष पवन अग्रवाल ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा की सरकार के द्वारा जो योजनाएं बनाई गई हैं वह सिर्फ कागजों तक ही सीमित है उसका क्रियान्वयन नहीं हो रहा है. अगर प्रसूता महिला को सही समय पर जानकारी दी गई होती तो आज उसका बच्चा जीवित रहता. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि भाजपा के द्वारा सड़क निर्माण की बात कही जाती है, लेकिन खराब सड़क होने के कारण ही बालाझार में प्रसूता महिला के 2 किलोमीटर पैदल चलने से बच्चे की मौत हुई है. इस बात को लेकर वे अपनी पार्टी के पदाधिकारियों से भी चर्चा करने की बात भी कह रहे हैं.

इधर कांग्रेस द्वारा लगाए गए आरोपों को भाजपा जिला उपाध्यक्ष हरजीत भाटिया ने कहा कि भाजपा की सरकार हर शहर गांव गली की सड़कों को बनाने का काम कर रही है. बालाझार की सड़क पर भी मुरुम डाला गया था, लेकिन पानी के तेज बहाव से मिट्टी बह गया. आने वाले समय मे वहां की सड़क भी बना दी जाएगी.

बहरहाल इस मामले में आरोप प्रत्यारोप का दौर चल पड़ा है, लेकिन उस मां पर क्या गुजर रही होगी जो अपने बच्चे को 9 महीने तक कोख में पालती रही. जब उस बच्चे का इस दुनिया में आने का समय हुआ तो समय से पहले ही उसकी आंखें बंद हो गई. अब इसे सिस्टम फेलियर कहें या लापरवाही. लेकिन आज भी ग्रामीण इलाकों में सड़कें नहीं बन पाई हैं. जिसका खामियाजा ग्रामीणों को ही भुगतना पड़ रहा है.