दिल्ली के एक नामचीन स्कूल और उसके तत्कालीन प्रधानाचार्य को अदालत ने धोखाधड़ी और बेइमानी के आरोप में तलब किया है। अदालत ने दोनों को बतौर आरोपी समन जारी किए हैं। मामला उस घटना से जुड़ा है जिसमें स्कूल ने एक छात्रा के पिता से फीस जमा करने में मात्र चार दिन की देरी पर 400 रुपये लेट फीस वसूली थी। रोहिणी स्थित न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी रोहित कुमार की अदालत ने दोनों को बतौर आरोपी समन जारी किया है। मामला उस समय का है जब स्कूल ने एक छात्रा के पिता से फीस जमा करने में सिर्फ चार दिन की देरी पर 400 रुपये लेट फीस वसूली थी। अदालत ने कहा कि स्कूल ने दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम, 1973 के नियमों का पालन नहीं किया और गलत नियमों का हवाला देकर वसूली की। अदालत के अनुसार यह कृत्य छात्रा के पिता के साथ धोखाधड़ी और बेइमानी की श्रेणी में आता है। इसलिए स्कूल प्रशासन और तत्कालीन प्रधानाचार्य के खिलाफ आपराधिक संज्ञान लेते हुए कार्यवाही शुरू की गई है।
अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि छात्रा के पिता ने 14 जनवरी 2022 को जनवरी, फरवरी और मार्च 2022 की फीस जमा कराई थी। नियमों के अनुसार फीस जमा करने की अंतिम तिथि हर महीने की 10 तारीख होती है। इस आधार पर फीस केवल चार दिन देरी से जमा हुई थी, फिर भी स्कूल ने 400 रुपये का जुर्माना लगा दिया। अदालत के अनुसार यह कार्रवाई न केवल दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम का सीधा उल्लंघन है, बल्कि छात्रा के पिता के साथ की गई धोखाधड़ी भी है।
यह है मामला
दिल्ली में प्रैक्टिस करने वाले वकील अंकित मान की बेटी रोहिणी सेक्टर-9 स्थित एक निजी स्कूल में पढ़ती थी। अंकित मान के अनुसार उन्होंने 14 जनवरी 2022 को बेटी की जनवरी, फरवरी और मार्च 2022 की कुल 24,500 रुपये फीस जमा कराई। भुगतान के बाद स्कूल प्रशासन ने उन्हें जो रसीद दी, उसमें 400 रुपये लेट फीस शामिल थी। जब उन्होंने इस पर आपत्ति जताई तो स्कूल की ओर से उन्हें एक दस्तावेज दिखाया गया, जिसमें लेट फीस लागू होने की अलग-अलग गणनाएँ दर्ज थीं।
कुछ समय बाद अंकित मान को पता चला कि स्कूल ने उनसे लेट फीस वसूलकर धोखा किया है। उन्होंने दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम की धारा 166 का अध्ययन किया, जिसमें स्पष्ट रूप से प्रावधान है कि शिक्षा निदेशालय की अनुमति के बिना किसी भी स्कूल द्वारा लेट फीस नहीं ली जा सकती। इस आधार पर अंकित मान ने सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत अदालत में शिकायत दायर की। अब मामले की अगली सुनवाई 27 जनवरी को निर्धारित है।
नियम के अनुसार एक दिन की देरी के लिए मामूली शुल्क
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम, 1973 की धारा 166 के अनुसार फीस जमा करने में देरी होने पर प्रति दिन अधिकतम पाँच पैसे लेट फीस वसूल की जा सकती है। ऐसे में यदि शिकायतकर्ता ने 10 तारीख के बजाय 14 जनवरी 2022 को फीस भरी, तो पहले महीने की फीस में देरी केवल चार दिन की थी। नियम के अनुसार इस देरी पर कुल लेट फीस 20 पैसे बनती थी, जबकि स्कूल ने 400 रुपये वसूले।
मामले की सुनवाई के दौरान स्कूल की ओर से पेश हुए वकील ने अदालत को बताया कि उन्हें वर्तमान में तत्कालीन प्रधानाचार्य के बारे में कोई जानकारी नहीं है। हालांकि, अदालत ने इस दलील को स्वीकार करने से इनकार करते हुए स्पष्ट कहा कि स्कूल प्रशासन को रिकॉर्ड में उपलब्ध तत्कालीन प्रधानाचार्य से संबंधित पूरी जानकारी अदालत के समक्ष प्रस्तुत करनी होगी।
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