रायपुर. छत्तीसगढ़ जो गांव में बसता है, उसके लिए बनने वाली जनहित योजनाएं खेत खलिहान से जुड़ी हुई हो तो सोने पर सुहागा जैसा काम हो जाता है. यही वजह है कि छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार के द्वारा बहुत सी योजनाएं गांव और ग्रामीण परिवेश से जोड़ कर बनाई गई हैं, जिनमें से अधिकतर चमत्कारिक रूप से सफल भी हुई हैं. जब भी ग्रामीण जन तक लाभ पहुॅंचाने वाली कोई योजना सफल होती है तो उस लाभ का विस्तार समूचे छत्तीसगढ़ में दिखाई देता है. वैसे ही छत्तीसगढ़ की एक महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना से लाभान्वित जनता की संख्या नित रोज बढ़ती ही जा रही है. गोधन न्याय योजना के रूप में समृद्धि की एक सुखदायी हवा छत्तीसगढ़ में हर दूर से प्रवाहित हो रही है.

छत्तीसगढ़ में न सिर्फ गोबर और उससे बने उत्पादों को बाजार मिला है, बल्कि गो मूत्र से बने उत्पाद भी उतना ही धूम मचा रहे हैं. वैसे तो सर्वत्र छत्तीसगढ़ का ग्रामीण परिक्षेत्र गोधन न्याय योजना से समृद्धि के ऊंचे सोपानों को छू रहा है, लेकिन यदि सिर्फ गोमूत्र की बात करें तो भी छत्तीसगढ़ उस दिशा में उत्तरोत्तर विकास कर रहा है.

छत्तीसगढ़ सरकार की योजनाओं का राष्ट्रीय प्रभाव

जमीन से जुड़ी योजना देने में प्रदेश की भूपेश सरकार आरंभ से ही अच्छी सफलता पा रही है. योजना के शुरूआती दौर में ऐसी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी कि गोधन न्याय जैसी योजना सफलता के इतने परचम भी लहरा सकती है. मगर मिलने वाले परिणाम ने सभी को चौका के रख दिया है. छत्तीसगढ़ सरकार की ऐसी ही बहुत सी योजनाएं राष्ट्र व्यापि चर्चा पा रही हैं और बहुत से राज्य नाम बदल-बदल कर छत्तीसगढ़ राज्य की सफल योजनाओं को अपने-अपने राज्य में अमलीजामा पहनाने की कोशिश करते भी दिखाई देते हैं.

गोधन न्याय योजना में गोमूत्र बिक्री का प्रवेश

गोबर के बाद अब गोमूत्र की खरीदी शुरू करके छत्तीसगढ़ शासन ने ग्रामीण क्षेत्रों में खुशहाली की जैसे बरसात ही कर दी है. 28 जुलाई 2022 को छत्तीसगढ़ के प्रथम त्योहार हरेली पर गोधन न्याय योजना को इस तरह से विस्तारित किया गया इसके तहत न्यूनतम 4 रुपये प्रतिलीटर की दर से गोमूत्र की खरीदी की जा रही है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस योजना के तहत गोमूत्र बेचने वाले पहले विक्रेता बन कर उन्होने हरेली के मौके पर चंदखुरी की निधि स्व.सहायता समूह को पांच लीटर गोमूत्र बेचकर प्राप्त राशि को मुख्यमंत्री सहायता कोष के खाते में जमा कर योजना का शुभारंभ किया, इसके साथ ही पहले ही दिन राज्य के 63 गांवों से 2306 लीटर गोमूत्र की खरीदारी की गई थी, सबसे अधिक 304 लीटर गोमूत्र कबीरधाम जिले से खरीदारी गया था. छत्तीसगढ़ को गौ मूत्र खरीदी करने वाला देश का पहला राज्य बनने का गौरव हासिल हुआ है. सरकार ने गोमूत्र की खरीदी के लिए न्यूनतम 4 रुपये प्रति लीटर का दर तय किया है. अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है जो पशुपालक ग्रामीणों से दो रुपए प्रति किलोग्राम की दर गोबर खरीदने के बाद अब चार रुपए लीटर में गोमूत्र खरीद रहा हैं.

गोधन न्याय योजना से ग्रामीणों को मिलने वाली आर्थिक राहत

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गोमूत्र खरीदी योजना की शुरुआत करते हुए कहा कि बीते दो वर्षों में गोधन न्याय योजना के माध्यम से गोबर विक्रेताओं, गौठान समितियों और महिला समूहों के खाते में 300 करोड़ रुपए से अधिक की राशि अंतरित हुई है. गौठानों में अब तक 20 लाख क्विंटल से अधिक वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट, सुपर प्लस कम्पोस्ट बनाया जा चुका है. वर्मी खाद का निर्माण एवं विक्रय से महिला स्व.सहायता समूहों और गौठान समितियों को 143 करोड़ से अधिक का भुगतान किया जा चुका है. राज्य में गोधन न्याय योजना के आसपास केंद्रित कुल 8408 गौठान चल रहे हैं.

गोधन न्याय योजना शुरू होने के बाद से पिछले दो सालों में राज्य सरकार द्वारा गौठानों और स्वयं सहायता समूहों को 300 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है. इनमें से 2,11,000 से अधिक पशुपालकों को 153 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है, पिछले दो सालों में सरकार द्वारा 76 लाख क्विंटल गोबर की खरीद की गई है. इसके अलावा गाय अधारित उत्पाद जैसे अगरबत्ती, साबुन आदि की बिक्री राशि के तौर पर स्वयं सहायता समूहों को 76 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है. अब गोमूत्र की खरीदी राज्य में जैविक खेती के प्रयासों को और आगे बढ़ाने में मददगार साबित होगी, इसी को ध्यान में रखकर राज्य में गोमूत्र की खरीदी शुरू की जा रही है.

गोधन न्याय योजना के पीछे मुख्यमंत्री की शुभ मंशा

राज्य के मुखिया ने कहा छत्तीसगढ़ में खेती किसानी समृद्ध हो, किसान खुशहाल हो, यह हमारी कोशिश है, जैविक खाद और जैविक कीटनाशक का उपयोग करने से खेती की लागत में कमी आएगी. खाद्यान्न की गुणवत्ता बेहतर होगी, जिससे जन-जीवन का स्वास्थ्य बेहतर होगा, उन्होंने कहा कि इस योजना का उद्देश्य राज्य में पशुपालन के संरक्षण और संवर्धन के साथ-साथ पशुपालक की आय और जैविक खेती को बढ़ावा देना है. वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि राज्य में गोधन न्याय योजना की शुरुआत छत्तीसगढ़ में आज से दो वर्ष पहले 20 जुलाई 2020 को हरेली पर्व के दिन से हुई थी, जिसके तहत गौठनों में पशुपालक ग्रामीणों से दो रुपये प्रति किलोग्राम की दर से गोबर खरीदी जा रही है.

प्रदेश मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसी साल गौमूत्र खरीदी की घोषणा की. इसके बाद कृषि विभाग ने कामधेनु विश्वविद्यालय और इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय से गौमूत्र के वैल्यू एडिशन पर एक अध्ययन कराया. इसके बाद इसकी चरणबद्ध तरीके से शुरुआत की गई. छत्तीसगढ़ सरकार इस योजना के जरिए मवेशी पालन से जुड़े लोगों की कमाई के स्रोत बढ़ाने और ऑर्गेनिक फार्मिंग को बढ़ावा देने के साथ ही साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रही है. हर साल राज्य में धूमधाम से हरेली त्यौहार मनाया जाता है. वर्ष 2022 को भी भूपेश सरकार ने गोमूत्र की खरीदी करके हरेली त्यौहार को खास बना दिया है.

गोमूत्र उत्पादन में जांजगीर-चांपा जिला बना अव्वल

जब गोधन न्याय योजना को अमल में लाने और उससे लाभ कमाने की दिशा में प्रदेश के सभी जिले सफल नजर आ रहे हैं तब उन सब में सफलतम जिलें की ओर नजर का जाना स्वाभाविक है. इस दृष्टिकोण से प्रदेश में अब तक जांजगीर-चांपा जिले में सर्वाधिक गौमूत्र की खरीदी की खबर उत्साह बढ़ाने वाली है. गौमूत्र से बने उत्पाद, ब्रह्मास्त्र और जीवामृत की बढ़ती मांग ने छत्तीसगढ़िया किसानों के जीवन को एक अच्छी दिशा और गति देने का काम किया है. गौमूत्र से बने इन उत्पादों से मिलने वाले चौतरफा लाभ में ये भी शामिल है कि यहां के किसानों को खर्चीले रासायनिक कीटनाशकों से मिल मुक्ति मिल रही है. फसल उत्पादन में लागत कम और उत्पाद की गुणवत्ता में वृद्धि किसानों को आर्थिक रूप से बेहद सहयोगी साबित हो रहा है. जीवामृत और गोमूत्र की कीट नियंत्रक उत्पाद का उपयोग किसान रासायनिक कीटनाशक के बदले कर सकेंगे, जिससे कृषि में लागत कम होगी और खाद्यान्न की विषाक्तता में भी कमी आएगी.

जिला कलेक्टर की अगुवाई से मिली सफलता को और ऊंचाई

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के मंशानुरूप राज्य सरकार द्वारा संचालित महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना का जांजगीर-चांपा जिले में कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा के निर्देशन में बेहतर क्रियान्वयन हो रहा है. इसी का नतीजा है कि जांजगीर-चांपा जिले में अब तक प्रदेश में सर्वाधिक गौमूत्र की खरीदी की गई है. जिस तरह से जांजगीर-चांपा जिले में गौमूत्र की बिक्री बढ़ी हुई है ठीक उसी तर्ज मे समूचे छत्तीसगढ़ में शैने-शैने गौमूत्र का व्यवसाय बढ़ रहा है.

गोमूत्र की खरीदी गौठान प्रबंधन समिति के खाते में उपलब्ध गोधन न्याय योजना से मिली राशि और उसकी ब्याज राशि से किया जा रहा है. इसके लिए सभी जिलों के कलेक्टर अपने-अपने जिले के दो स्वावलंबी गौठानों, और स्व.सहायता समूह का चयन करने का निर्देश दिया गया था. गौठान प्रबंध समिति और स्व.सहायता समूह के सदस्यों को प्रशिक्षण देने के साथ ही गौमूत्र परीक्षण संबंधी किट और उत्पाद भण्डारण के लिए आवश्यक व्यवस्था बनाती है. गोधन न्याय मिशन के लिए सभी जिला कलेक्टरों को गौठान चयन और स्व.सहायता समूह की सूची उपलब्ध कराने का काम दिया गया, जिसे उन्होने पूरे उत्साह के साथ अतिशीघ्र पूरा कर दिया. गोधन न्याय योजना से जुड़े ग्रामीणों का कुछ नहीं से सब कुछ तक का सफर बहुत ही दिलचस्प बन गया है. अब गांव में ऐसे हाथ नहीं मिलते जो खाली हो, और ऐसे घर का ढूंढना कठिन हो गया है जहां की आमद में बढ़ोतरी न हुई हो. प्रदेश का मुखिया यदि जन-जन की सुध लेने वाला हो तो ऐसे ही सुखद परिणाम ही सामने आते हैं.

विभागीय आंकड़े बढ़ा रहे हौसले

कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार जांजगीर-चांपा जिला 9 हजार 2 सौ 28 लीटर गौमूत्र खरीदी के साथ प्रदेश में प्रथम स्थान पर है. जिला कलेक्टर के कुशल अगुवाई से एक और चमत्कार इस क्षेत्र में देखने को मिल रहा है. जिले में गौमूत्र से फसलों में कीटनियंत्रक और वृद्धि के लिए ब्रह्मास्त्र और जीवामृत उत्पाद तैयार किया जा रहा है, जिससे जिले के किसान और भी लाभान्वित हो रहे हैं. जिले में वर्तमान में 106 किसान गौमूत्र से बने उत्पाद जीवामृत एवं ब्रह्मास्त्र का लाभ ले रहें हैं.

कृषकों को चौतरफा लाभ देता है गोमूत्र से बना उत्पाद

गो मूत्र से बने इन जैव कीटनाशकों का उपयोग कर ग्रामीण कास्तकार न सिर्फ लाभन्वित हो रहे हैं, बल्कि किसान रासायनिक विधि के उपयोग से होने वाले अनावश्यक खर्चे से भी मुक्त हो रहे हैं. मिलने वाली कुछ विभागीय जानकारियां इस बात की भलि-भांति पुष्टि करती है कि गोमूत्र से बने उत्पाद जांजगीर-चांपा जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में कैसी बरकत ला रहा है.

प्रक्षेत्रों में भी गोमूत्र से बने उत्पादों का किया गया प्रयोग

कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार विकासखण्ड अकलतरा के तिलई गौठान और विकासखण्ड नवागढ़ के खोखरा गोठान में चार रूपये प्रति लीटर की दर से अब तक 7 हजार 216 लीटर गोमूत्र खरीदी की जा चुकी है और गौमूत्र से बने उत्पाद ब्रह्मास्त्र का 106 किसानों के खेतों में प्रयोग कराया गया है.

बढ़ते आमदनी का गवाह बनी कुछ महिला स्वसहायता समूह

विकासखण्ड अकलतरा के तिलई गोठान के आरती स्व.सहायता समूह की महिलायें गौमूत्र से जीवामृत वृद्धिवर्द्धक और ब्रह्मास्त्र कीटनाशक बना रही हैं. महिलाओं ने यहां जीवामृत 200 लीटर और ब्रह्मास्त्र 9 सौ 11 लीटर बनाकर 8 सौ 64 लीटर उत्पाद विक्रय से कुल 51 हजार 200 रूपये लाभ प्राप्त कर लिया है. इसी प्रकार विकासखण्ड नवागढ़ के खोखरा गोठान में सागर स्व-सहायता समूह की महिलायें गोमूत्र से कीटनाशक बनाने में जुटी हुई है. उन्होंने अब तक 9 सौ 74 लीटर ब्रह्मास्त्र जो कि एक कीट नियंत्रक है और 400 लीटर जीवामृत जो फसल के लिए एक वृद्धिवर्धक का काम करती है. विक्रय कर 64 हजार 700 रुपये का लाभ प्राप्त कर लिया है.

परिणाम देखकर लाभान्वित किसानों ने की मुक्त कंठ से की तारीफ

ब्रह्मास्त्र और जीवामृत उत्पाद का उपयोग करने वाले अकलतरा विकासखंड के ग्राम तिलई निवासी किसान देवराज कुर्मी से इस बात की जानकारी मिली कि कृषि विभाग द्वारा उनके गांव के किसानों को इसके फायदे के संबंध में जानकारी संगोष्ठी, कृषक परिचर्चा और मुनादी के द्वारा दी गई थी, इससे प्रभावित होकर उन्होंने अपने 3 एकड़ धान फसल में 3 बार 15-15 दिन के अंतराल में कीटनियंत्रण के लिए जैव कीटनाशक ब्रम्हास्त्र का छिड़काव किया. इससे उन्होंने कीटों पर प्रभावी नियंत्रण पाया है और उनके फसल के स्वास्थ्य में आश्चर्यजनक रूप से सुधार आया.

इसी तरह अकलतरा विकासखंड के ग्राम तिलई के किसान खिलेंद्र कौशिक पिता रथराम कौशिक बताते हैं कि इस वर्ष उन्होंने 4.50 एकड़ में धान फसल लगाया है. जिसमें 1 एकड़ में गौमूत्र से तैयार वृद्धिवर्धक का उपयोग किया है. इससे उनके धान फसल का स्वास्थ्य देखने लायक हुआ है. पौधों में बढ़वार और कंसो की संख्या अन्य वर्षों की अपेक्षा बहुत ज्यादा हुई है. इससे रासायनिक खाद के दुष्प्रभाव से बचाव और भूस्वास्थ्य सुधार के साथ-साथ भूमि में जीवांश की वृद्धि होने से उत्पादन लागत में कमी भी आयी है. जानकारों के अनुसार गोमूत्र संग्राहकों को गोमूत्र के संग्रहण में बहुत सावधानी रखनी होगी. पूरी तरह स्वस्थ व प्राकृतिक विचरण करने वाली गाय का गोमूत्र ही विपणन की दृष्टि से उपयोगी होगा. जंगल में विचरण करने वाली गाय का गोमूत्र मिल जाए तो उसे सवोत्तम माना जाता है. गोमूत्र से बने उत्पादों के उपयोग से फसल स्वास्थ्य अच्छा होने की वजह से उत्पादन में एक स्थिर बढ़ोतरी होने की संभावना है.