देश की दिग्गज एफएमसीजी कंपनी ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज लिमिटेड (Britannia Industries) के शेयर मंगलवार, 11 नवंबर को निवेशकों के लिए झटका लेकर आए. सोमवार देर शाम कंपनी के एमडी और सीईओ वरुण बेरी (Varun Berry) ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया और यह खबर सामने आते ही मंगलवार सुबह ब्रिटानिया का शेयर 6% से ज्यादा लुढ़क गया.

बीएसई पर स्टॉक ₹5,721.70 तक गिरा, जो दिन का सबसे निचला स्तर रहा. कारोबार के अंत तक यह ₹5,815.15 पर बंद हुआ, यानी 5.17% की गिरावट. निवेशकों के लिए यह खबर इसलिए भी चौंकाने वाली थी क्योंकि बेरी का कार्यकाल साल 2029 में खत्म होना था, लेकिन उन्होंने बीच रास्ते ही कंपनी की कमान छोड़ दी.
वरुण बेरी का इस्तीफा: निवेशकों के भरोसे पर पड़ा झटका
कंपनी ने अपने आधिकारिक बयान में कहा – “बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने सीईओ एवं एमडी वरुण बेरी का इस्तीफा तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया है. उन्हें नोटिस पीरियड सर्व करने की आवश्यकता नहीं होगी.”
यानी यह कोई “प्लांड ट्रांजिशन” नहीं बल्कि अचानक लिया गया फैसला था. बाजार में यह अटकलें तेज हैं कि बोर्ड और टॉप मैनेजमेंट के भीतर पिछले कुछ महीनों से मतभेद चल रहे थे, हालांकि कंपनी ने इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की. निवेशकों के लिए यह इस्तीफा सिर्फ नेतृत्व परिवर्तन नहीं बल्कि भरोसे पर प्रहार साबित हुआ.
कौन संभालेगा अब Britannia की कमान?
ब्रिटानिया ने इस खाली जगह को भरने में देर नहीं लगाई. कंपनी ने ऐलान किया कि रक्षित हरगेव (Rakshit Hargave) को नया सीईओ और एमडी नियुक्त किया गया है, जो 15 दिसंबर 2025 से पदभार संभालेंगे. रक्षित इससे पहले ग्रासिम की बिड़ला ओपस के सीईओ रह चुके हैं और उपभोक्ता उत्पादों के क्षेत्र में लंबा अनुभव रखते हैं. उनके कार्यभार संभालने तक कंपनी की कमान सीएफओ एन. वेंकटरमण (N. Venkataraman) को सौंपी गई है. ब्रिटानिया के लिए यह संक्रमण काल बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि बाजार अब यह देखना चाहता है कि क्या नया नेतृत्व वही भरोसा कायम रख पाएगा जो वरुण बेरी के दौर में बना था.
बेरी के कार्यकाल में Britannia का ‘स्वर्ण युग’
वरुण बेरी का कार्यकाल ब्रिटानिया के इतिहास का सबसे सफल दौर माना जाता है. 2013 में जब उन्होंने कमान संभाली थी, तब कंपनी का रेवेन्यू जहां ₹6,000 करोड़ के आसपास था, वहीं 2025 में यह ₹15,000 करोड़ से अधिक पहुंच गया.
नेट प्रॉफिट लगभग 6 गुना बढ़ा
मार्जिन में 900 बेसिस पॉइंट्स से अधिक सुधार हुआ
मार्केट कैप करीब 18 गुना उछला
ब्रिटानिया ने बिस्किट, डेयरी और स्नैक सेगमेंट में अपनी पकड़ मजबूत की
यानी बेरी का नाम ब्रिटानिया के पुनरुत्थान की कहानी से जुड़ गया. ऐसे में उनका अचानक जाना बाजार के लिए स्वाभाविक रूप से नेतृत्व संकट का संकेत माना जा रहा है.
शेयरों का हाल: ऊंचाई से फिसला भरोसा
ब्रिटानिया के शेयर ने हाल के महीनों में अच्छा प्रदर्शन किया था. मार्च 2025 में जहां यह ₹4,506.50 के एक साल के निचले स्तर पर था, वहीं सितंबर तक ₹6,336.95 के उच्च स्तर पर पहुंच गया — यानी 40% से ज्यादा की उछाल. लेकिन सीईओ के इस्तीफे की खबर ने इस तेजी पर ब्रेक लगा दिया. मंगलवार को दिनभर में ₹6000 करोड़ से अधिक की मार्केट वैल्यू मिट गई.
ब्रोकरेज हाउस की राय: शॉर्ट-टर्म दबाव, लॉन्ग-टर्म उम्मीद
घरेलू ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज ने हाल ही में ब्रिटानिया की रेटिंग को “न्यूट्रल से अपग्रेड” कर “बाय” किया था. हालांकि अब फर्म का कहना है कि “बेरी का इस्तीफा शॉर्ट-टर्म में शेयर पर दबाव डालेगा. लेकिन कंपनी की स्ट्रॉन्ग ब्रांड वैल्यू और फूड सेगमेंट में लीडरशिप के चलते लॉन्ग-टर्म आउटलुक पॉजिटिव बना रहेगा.” दूसरी ओर कुछ विश्लेषक यह भी मानते हैं कि नेतृत्व परिवर्तन के बाद शुरुआती दो तिमाहियों में कंपनी के प्रदर्शन पर नज़र रखना जरूरी होगा.
निवेशकों के लिए संदेश: अभी सावधानी ही बेहतर रणनीति
ब्रिटानिया का मौजूदा संकट किसी वित्तीय कमजोरी से नहीं, बल्कि लीडरशिप ट्रांजिशन से उपजा है. ऐसे में विशेषज्ञों की सलाह है कि- नए सीईओ के नेतृत्व और रणनीति को देखने तक नए निवेशक वेट-एंड-वॉच की नीति अपनाएं. जबकि मौजूदा निवेशक लॉन्ग टर्म होल्ड रखें, क्योंकि कंपनी के ब्रांड फंडामेंटल अब भी मजबूत हैं. ब्रिटानिया में वरुण बेरी का जाना सिर्फ एक पद परिवर्तन नहीं, बल्कि एक युग का अंत है. कभी जिसने बिस्किट ब्रांड को घरेलू टेबल से लेकर ग्लोबल मार्केट तक पहचान दिलाई, उसका अचानक विदा लेना बाजार को झकझोर गया. अब सवाल सिर्फ इतना है क्या नया नेतृत्व उस स्वाद और भरोसे को बरकरार रख पाएगा, जिसे वरुण बेरी ने सालों की मेहनत से तैयार किया था?
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