चंडीगढ़ . संगरूर की फैमिली कोर्ट से सहमति से तलाक लेने के बाद एक दंपत्ति को अपनी गलती का एहसास हुआ, लेकिन अब उनके बच्चे के लिए उन्हें दोबारा शादी करनी होगी. हाईकोर्ट ने तलाक के आदेश के खिलाफ अपील को खारिज करते हुए दोनों को फिर से विवाह करने का सुझाव दिया है.
संगरूर के एक तलाकशुदा महिला और पुरुष ने फैमिली कोर्ट के तलाक के आदेश को रद्द करने की मांग की थी. इस मामले में उनकी बेटी की कस्टडी मां को सौंपी गई थी और डिक्री में स्पष्ट था कि दोनों अपने बयानों से मुकरेंगे नहीं. हाईकोर्ट में अपील करते हुए कहा गया कि दोनों को अपनी गलती का एहसास हो गया है और अब वे बच्चे के कल्याण के लिए साथ रहना चाहते हैं, क्योंकि उनके तलाक ने नाबालिग बच्चे को सबसे अधिक प्रभावित किया है.
हाईकोर्ट ने माना है कि हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13-बी के तहत आपसी सहमति से तलाक के खिलाफ अपील इस आधार पर स्वीकार्य नहीं की जा सकती कि वे फिर से पति-पत्नी के रूप में साथ रहना चाहते हैं. पक्षकारों को बाद में अपने शपथ-पत्र वापस लेने और सुलह की इच्छा जताने की अनुमति देना कोर्ट की अवमानना और झूठी गवाही के बराबर होगा. पीठ ने कहा कि चूंकि अब पक्षों को अपनी गलती का एहसास हो गया है और वे साथ रहना चाहते हैं, इसलिए अधिनियम की धारा 15 के अनुसार, उन्हें फिर से विवाह करने की अनुमति है. अधिनियम में उन पक्षों के पुनर्विवाह पर कोई रोक नहीं है, जिन्होंने तलाक लिया है.
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