छत्तीसगढ़ में शक्तिपीठ के साथ-साथ माता के कई रहस्यमय मंदिर भी हैं. जिनकी भक्तों में गहरी आस्था है. हालाँकि, हर मंदिर की अपनी-अपनी मान्यता है. आज हम आपको मां दुर्गा को समर्पित एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं. जिसके कपाट शारदीय नवरात्रि में भी नहीं खुलते हैं. एक वर्ष में चार नवरात्रि होती हैं. जिसमें शारदीय और चैत्री नवरात्रि का विशेष महत्व है. लेकिन इस मंदिर के भक्तों को साल में केवल एक बार चैत्र नवरात्रि के दौरान 5 घंटे के लिए दर्शन मिलते हैं. यहां तक ​​कि उन जगहों पर भी जहां महिलाओं का प्रवेश वर्जित है. केवल पुरुष ही प्रवेश कर पूजा कर सकते हैं. मंदिर हर साल चैत्र नवरात्रि के दौरान सुबह 4 बजे से 9 बजे तक खुलता है.

माँ को नहीं चढ़ाया जाता श्रृंगार

यह मंदिर छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिला मुख्यालय से 12 किमी दूर एक पहाड़ी पर स्थित है. माँ निरई का मंदिर निरई पहाड़ियों पर स्थित है. कहा जाता है कि मां निराई के दरबार में पूजा करने से हर भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है. पूजा में देवी मां को नारियल और अगरबत्ती चढ़ाई जाती है. मंदिर में देवी को सिन्दूर, कुमकुम, गुलाल, सुहाग और श्रृंगार का सामान चढ़ाना मना है.

एक लौ बिना तेल के 9 दिनों तक चलती है

कहा जाता है कि नीरई माता मंदिर में मां की ज्वाला बिना तेल के 9 दिनों तक जलती रहती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, हर साल चैत्र नवरात्रि के दौरान माता नीरई स्वयं मंदिर में ज्योत जलाती हैं, जो 9 दिनों तक जलती रहती है. हालांकि, इस पहेली के पीछे की कोई ठोस वजह अभी तक सामने नहीं आई है. गांव वालों का मानना ​​है कि यह इस मां का चमत्कार है कि मंदिर में बिना तेल के ज्योति अपने आप जलती है.