संदीप शर्मा, विदिशा। विजयादशमी के दिन पूरा देश भगवान श्रीराम की पूजा करता है। इस दिन को अच्छाई की बुराई पर जीत के रूप में भी मनाया जाता है। लेकिन, आपको जानकर हैरानी होगी मध्यप्रदेश के विदिशा जिले में एक ऐसा गांव है, जहां रावण की पूजा भगवान के रूप में होती है। वहीं विवाहित महिलाएं जब रावण के मंदिर के सामने से गुजरती हैं तो घूंघट कर लेती हैं।
विदिशा से 35 किलोमीटर दूर स्थित एक गांव ऐसा है, जहां ‘रावण बाबा’ की पूजा की जाती है। विदिशा के नटेरन तहसील के रावण गांव में देश की परंपरा के विपरीत रावण को देवता मानकर पूजा-आराधना की जाती है। रावण को यहां ‘रावण बाबा’ कहा जाता है। इतना ही नहीं गांव की विवाहित महिलाएं जब इस मंदिर के सामने निकलती हैं तो घूंघट कर लेती हैं।
गांव में हर शुभ कार्य की शुरुआत मंदिर से होती है
मंदिर में रावण की प्रतिमा लेटी हुई अवस्था में है। रावण की प्रतिमा, गांव में हर शुभ कार्य की शुरुआत यहीं से होती है।गांव में किसी की शादी हो तो भी पहला निमंत्रण ‘रावण बाबा’ को ही दिया जाता है। इसकी शुरुआत प्रतिमा की नाभि में तेल चढ़ा कर की जाती है। यहां के लोग जब भी कोई नया वाहन खरीदते हैं, उस पर रावण जरूर लिखवाते हैं।
दशहरा के दिन मंदिर में जाकर रोती हैं महिलाएं
पूरे देश में जब दशहरा पर रावण दहन की तैयारी हो रही होती है। उस समय गांव में मातम पसर जाता है। कई महिला तो इस दिन मंदिर में जाकर रोने लगती हैं। गांव के लोग भी कहीं बाहर नहीं जाते हैं।
इसके पीछे की यह है मान्यता
मंदिर के पुजारी पंडित नरेश महाराज तिवारी ने बताया कि रावण बाबा के मंदिर से उत्तर दिशा में 3 किलोमीटर की दूरी पर एक बूधे की पहाड़ी है। जिसमें प्राचीन काल में बुध्दा नामक एक राक्षस रहा करता था। यह रावण बाबा से युद्ध करने की बहुत इच्छा रखता था। परंतु बह जब लंका तक पहुंचता था और वह लंका की चकाचौंध देखता और उसका क्रोध शांत हो जाता था। एक दिन रावण बाबा ने इस राक्षस से पूछा कि तुम दरबार में क्यों आते हो और हर बार बिना कुछ बताये चले जाते हो। तब बुद्धा राक्षस ने कहा कि महाराज में हर बार आप से युध्द की चाह लेकर आता हूं। लेकिन यहां आपको देख कर मेरा क्रोध शांत हो जाता है। इस पर रावण बाबा ने कहा कि तुम वहीं मेरी एक प्रतिमा बना लेना और उसी से युद्ध करना। तब से यह प्रतिमा यहीं पर बनी हुई है। लोगों ने उस प्रतिमा की महिमा को देखते हुए वहां मंदिर बना दिया।