नोएडा . एक पार्सल में ड्रग्स समेत अन्य गैरकानूनी सामान होने का डर दिखाकर साइबर ठगों ने 73 वर्षीय बुजुर्ग महिला से 1 करोड़ 30 लाख रुपये ठग लिए. इस दौरान ठगों ने महिला को स्काइप कॉल पर 5 दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखा और 10 खातों में रकम ट्रांसफर करा ली. महिला की शिकायत पर पुलिस अज्ञात ठगों के खिलाफ धोखाधड़ी और IT एक्ट की धारा में केस दर्ज कर जांच कर रही है.
सेक्टर-49 निवासी रिटायर्ड अधिकारी की पत्नी शुचि अग्रवाल ने दर्ज कराई FIR में बताया कि 13 जून को उनके मोबाइल पर अनजान नंबर से कॉल आई. कॉलर ने बताया कि वह फेडिक्स कंपनी की अंधेरी शाखा से बात कर रही है. उसने कहा कि उनके नाम से भेजा जा रहा पार्सल पकड़ा गया है, जिसमें LCD, एक्सपायर्ड पासपोर्ट और अन्य सामान हैं. या तो उन्हें पूछताछ के लिए मुंबई आना पड़ेगा या फिर मुंबई पुलिस के नारकोटिक्स विभाग के अधिकारियों से ऑनलाइन ही जुड़ना होगा. महिला को इसके बाद स्काइप कॉल पर जोड़ा गया. 10 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट करने के बाद जालसाजों ने महिला से कहा कि बुजुर्ग होने के चलते उन्हें सोने के समय ही स्काइप कॉल से दूर रहने की अनुमति दी जाएगी. इस दौरान भी उन पर स्काइप से नजर रखी जाएगी. 5 दिन तक ठगों ने महिला को डिजिटल अरेस्ट रखा.
डराकर रकम ट्रांसफर कराई इसी दौरान स्काइप कॉल से जुड़े कथित नारकोटिक्स अधिकारियों ने महिला से कहा कि उनके आधार कार्ड पर कुल 6 अकाउंट चल रहे हैं. सभी खातों में मनी लॉन्ड्रिंग का काम हो रहा है. डरी-सहमी महिला को जालसाजों ने पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट देने के नाम पर रुपये ट्रांसफर करने को कहा. जेल जाने के डर से महिला ने जालसाजों द्वारा बताए गए 10 बैंक खाते में रकम ट्रांसफर कर दी. ठग तब तक महिला से रकम ट्रांसफर कराते रहे जब तक उनका खाता खाली नहीं हो गया. जब महिला पर लोन लेकर और रकम भेजने का दबाव बनाया गया तब उन्हें ठगी का एहसास हुआ. इसके बाद परिजनों को बताया.
खातों की जांच में जुटी पुलिस
महिला ने बताया कि जो रकम गई है, वह उनकी जिंदगीभर की कमाई थी. उन 5 दिनों को यादकर मन सिहर उठता है. आगे क्या होगा, इस बारे में चिंता सता रही है. वहीं, मामले की जांच कर रही पुलिस का दावा है कि जिन खातों में ठगी की रकम ट्रांसफर हुई है, उनके बारे में कई अहम जानकारी मिली है. जल्द ही जालसाजों को दबोचा जाएगा.
क्या होता है डिजिटली अरेस्ट
ठग द्वारा पीड़ित को फोन कर बताया जाता है कि उनका किसी नाम ड्रग तस्करी, मनी लॉन्ड्रिंग के केस में आया है और उन्हें घर से बाहर निकलने की अब अनुमति नहीं है. पीड़ित से कहा जाता है कि वह डिजिटली तौर पर लगातार उनसे जुड़े रहेंगे और किसी को इसकी जानकारी नहीं देंगे. पीड़ित डर की वजह से साइबर अपराधियों के झांसे में आकर उन्हें पास रुपये भेज देता है.
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