प्रदीप गुप्ता, कवर्धा। प्रकृति के गोद में बसे कबीरधाम जिले में भोरमदेव अभयारण्य एक ऐसा स्थान है, जहां अलग ही दुनिया बसती है. अभयारण्य में तितलियों का एक अद्भुत और अकल्पनीय संसार है, जहां सामान्य से लेकर विलुप्ति के कगार पर खड़े देश-दुनिया की दुर्लभतम तितलियों का बसेरा है. इसे भी पढ़ें : CG Morning News: तेलीबांधा तालाब में ऑक्सीजन की कमी हजारों मछलियां मरीं… मानसून अभी दक्षिण बस्तर की सीमा में…

मैकल पर्वत श्रृंखला के मध्य 352 वर्ग किलोमीटर में फैले भोरमदेव अभयारण्य में अनेक वन्यजीवों, पक्षियों, सरीसृपों और दुर्लभ वनस्पतियों का प्राकृतिक आवास है. इस अभयारण्य में लगभग 90 से अधिक प्रजाति की तितलियों को देखा जा सकता है. वन विभाग द्वारा दावा है कि देश की दूसरी सबसे बड़ी आकार की तितली भोरमदेव अभयारण्य में मौजूद है.

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हालांकि, जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा भोरमदेव अभयारण्य में किए गए सर्वे रिपोर्ट में स्पॉटेड एंगल तितली का जिक्र रिकॉर्ड में नहीं है. लेकिन छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र के बाद भोरमदेव अभयारण्य में देखी गई तितलियों की यह दुर्लभ प्रजातियां बस्तर में रिकॉर्डेड एंगल पेरोट और ओरिएंटल चेस्टनट एंगल तितलियों को भोरमदेव अभयारण्य में देखी गई है. यही नहीं भारत की दूसरे नंबर की आकार में सबसे बड़ी तितली ब्लू मॉर्मोन नामक तितली भी भोरमदेव अभयारण्य में पाई गई है.

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वन मंडल अधिकारी शशि कुमार ने बताया कि अभयारण्य में अपने प्राकृतिक रहवास में पाई जाने वाली इन तितलियों को संरक्षित करने की आवश्यकता है, ताकि लगातार घटते जंगलों व परभक्षियों से इन्हें बचाया जा सके. इनके संरक्षण संवर्धन के लिए विशेष काम किए जा रहे हैं, जिससे देश-दुनिया से आने वाले पर्यटकों को अभयारण्य में तितलियों को संसार देखने को मिले.