दिल्ली के जंतर-मंतर(Janter- Manter) पर सोमवार सुबह करीब 9 बजे एक शख्स ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और आसपास के इलाके को घेराबंदी कर लिया। फिलहाल मृतक की पहचान की कोशिश की जा रही है। पुलिस ने बताया कि प्रारंभिक जांच के अनुसार व्यक्ति अपने साथ पिस्तौल लेकर आया था और कुछ ही देर बाद उसने खुद को गोली मार ली। मौके से फॉरेंसिक टीम ने साक्ष्य जुटाए हैं और शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है। पुलिस आसपास लगे CCTV फुटेज भी खंगाल रही है, ताकि घटना के पहले की गतिविधियों का पता लगाया जा सके।
पुलिस ने बताया कि मृतक की पहचान फिलहाल नहीं हो सकी है और उसके पास से कोई पहचान पत्र भी नहीं मिला है। मौके पर मौजूद पिस्तौल और अन्य सबूतों को जब्त कर लिया गया है। शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है। पुलिस के अनुसार, व्यक्ति अपने साथ एक पिस्तौल लेकर आया था और कुछ ही देर बाद उसने स्वयं को गोली मार ली। गोली लगने से उसकी मौके पर ही मौत हो गई। पुलिस ने पिस्तौल सहित घटनास्थल से सभी साक्ष्य जब्त कर लिए हैं।
पुलिस का बयान
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया “शव की शिनाख्त अभी बाकी है। मौके पर पुलिस कर्मी मौजूद हैं और घटनास्थल की घेराबंदी कर दी गई है। कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा जाएगा।” दिल्ली पुलिस ने बताया कि मेटल डिटेक्टर गेट के पास बनी एक चाय की दुकान के पास एक व्यक्ति ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली. व्यक्ति मध्य प्रदेश का रहने वाला है. फिलहाल मामले की जांच दिल्ली पुलिस कर रही है और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है.
CCTV फुटेज खंगाल रही पुलिस
दिल्ली पुलिस फिलहाल यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि युवक किस राज्य और शहर का रहने वाला है, ताकि उसके परिजनों से संपर्क कर उन्हें सूचना दी जा सके। पुलिस की एक टीम घटनास्थल पर मौजूद लोगों से पूछताछ कर रही है, ताकि यह समझा जा सके कि युवक कब और कैसे धरना स्थल पर पहुंचा। इसके अलावा, पुलिस आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज भी खंगाल रही है। फुटेज के जरिए यह पता लगाया जा रहा है कि आत्महत्या से पहले युवक किस तरह की गतिविधियां कर रहा था और क्या वह किसी के संपर्क में था।
क्यों प्रसिद्ध है दिल्ली का जंतर-मंतर
बता दें कि जंतर-मंतर दिल्ली का एक बेहद प्रसिद्ध और ऐतिहासिक क्षेत्र है, जो कनॉट प्लेस के पास स्थित है। इतिहासकारों के अनुसार, मोहम्मद शाह के शासनकाल के दौरान ग्रहों की स्थिति को लेकर खगोलशास्त्रियों के बीच मतभेद बढ़ गए थे। इस बहस को दूर करने और खगोलीय गणनाओं को वैज्ञानिक रूप देने के उद्देश्य से महाराजा जयसिंह द्वितीय ने वर्ष 1724 में जंतर-मंतर का निर्माण करवाया था। आज भी यह स्थान सामाजिक, राजनीतिक और सार्वजनिक आंदोलनों का प्रमुख केंद्र माना जाता है।
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