रायपुर–  गांधीवाद आज भी कितना प्रासंगिक है,ये जानने के लिये न्यूज 24 मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ और लल्लूराम डॉट कॉम ने ‘आओ गांधी को ढूंढें’ अभियान चलाकर छत्तीसगढ़ के ऐसे लोगों की खोज शुरु की,जो आज भी गांधी जी के बताये रास्तों पर चलकर समाज और देश को जागरूक कर रहें हैं. इस अभियान के लिये हमने छत्तीसगढ़ के कोने कोने में फैले संवाददाताओं के नेटवर्क को एक्टिवेट किया और उन्हें ये जिम्मेदारी दी कि उनके इलाके में  गांधी जी के रास्ते पर चलने वाले लोगों की जानकारी एकत्र करें और ऐसे लोगों की सूची बनाकर रायपुर मुख्यालय को सौंपें.
संवाददाताओं द्वारा सौंपे गये सूची का मूल्यांकन करने के लिये हमने एक पांच सदस्यीय जूरी बनाई,जिसमें गांधीवाद को समझने वाले नामचीन लोगों को शामिल किया गया. हमारी जूरी में विख्यात समाजसेवी और नदी घाटी मोर्चा के संयोजक गौतम बंदोपाध्याय,शिक्षाविद डॉ अनुपमा सक्सेना,डॉ  उषारानी मिंज,डॉ विक्रम सिंघल और जेबा असद जैसे नाम शामिल थे. जूरी के सभी सदस्यों ने इस अभियान में हमारा भरपूर सहयोग किया और नियमित अंतराल पर बैठक कर संवाददाताओं द्वारा भेजी गई सूची पर गंभीर विचार विमर्श कर पूरे प्रदेश से 9 ऐसे लोगों को चयनित किया,जिनके जीवन शैली में साक्षात गांधी जी नजर आते हैं.
क्या है गांधीवाद और क्यों है इसकी प्रासंगिकता

किसी भी शोषण का अहिंसक प्रतिरोध, सबसे पहले दूसरों की सेवा, संचय से पहले त्याग, झूठ के स्थान पर सच, अपने बजाय देश और समाज की चिंता करना आदि विचारों को समग्र रूप से गांधीवाद की संज्ञा दी जाती है. गांधीवादी विचार व्यापक रूप से प्राचीन भारतीय दर्शन से प्रेरणा पाते है और इन विचारों की प्रासंगिकता अभी भी बरकरार है.  आज के दौर में जब समाज में कल्याणकारी आदर्शों का स्थान असत्य, अवसरवाद, धोखा, चालाकी, लालच व स्वार्थपरता जैसे संकीर्ण विचारों द्वारा लिया जा रहा है तो समाज सहिष्णुता, प्रेम, मानवता, भाईचारे जैसे उच्च आदर्शों को भूलता जा रहा है. ऐसे में विश्व शांति की पुनर्स्थापना के लिये, मानवीय मूल्यों को पुन: प्रतिष्ठित करने के लिये आज गांधीवाद नए स्वरूप में पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हो उठा है.

गांधी जी धर्म व नैतिकता में अटूट विश्वास रखते थे. उनके लिये धर्म, प्रथाओं व आंडबरों की सीमा में बंधा हुआ नहीं वरन् आचरण की एक विधि थी. गांधी जी के अनुसार, धर्मविहीन राजनीति मृत्युजाल है, धर्म व राजनीति का यह अस्तित्व ही समाज की बेहतरी के लिये नींव तैयार करता है. गांधी जी साधन व साध्य दोनों की शुद्धता पर बल देते थे. उनके अनुसार साधन व साध्य के मध्य बीज व पेड़ के जैसा संबंध है एवं दूषित बीज होने की दशा में स्वस्थ पेड़ की उम्मीद करना अकल्पनीय है. किसी भी शोषण का अहिंसक प्रतिरोध, सबसे पहले दूसरों की सेवा, संचय से पहले त्याग, झूठ के स्थान पर सच, अपने बजाय देश और समाज की चिंता करना आदि विचारों को समग्र रूप से गांधीवाद की संज्ञा दी जाती है. गांधीवादी विचार व्यापक रूप से प्राचीन भारतीय दर्शन से प्रेरणा पाते है और इन विचारों की प्रासंगिकता अभी भी बरकरार है.

आईये आपको मिलाते हैं छत्तीसगढ़ के गांधियों से 
छत्तीसगढ़ के सभी कोने में गांधीवाद के मानने वालों की कमीं नहीं है. जूरी के सदस्यों ने प्रदेश भर से आये 60 से ज्यादा प्रविष्टियों में से नौ ऐसे नामों का चयन किया, जिनमें गांधी के अंश सीधे तौर पर नजर आते हैं.  ऐसे लोगों को सम्मानित करने के लिये हमने राजधानी रायपुर में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया,जिसमें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के हाथों गांधी जी के इन अनुयायियों का सम्मान कराया गया.कार्यक्रम में वन मंत्री मोहम्मद अकबर और गांधीवादी विचारक बालचंद कछवाहा विशेष अतिथि के तौर पर शामिल थे. सभी अतिथियों ने हमारे इस अभियान की जमकर सराहना की और प्रदेश और देश के उज्जवल भविष्य के लिये उपयोगी बताया.
मुख्यमंत्री द्वारा समारोह में जिन गांधीवादी विचारकों का सम्मान किया गया, उनमें पद्मश्री श्री धरमपाल सैनी, गनियारी-बिलासपुर में
संचालित जन-स्वास्थ्य सहयोग केन्द्र, सरगुजा की चिकित्सक डॉ. बियाट्रिस, बस्तर की गांधीवादी विचारक एम.के.नायडू, समाजसेविका शैल चौहान ग्राम जाता, विकासखंड बेमेतरा, ग्राम कंडेल जिला धमतरी के सेवानिवृत्त शिक्षक एवं लोक कथाकार श्री मुरहाराम कमलवंशी, अंबिकापुर की सेवानिवृत्त शिक्षिका एवं लोक कथाकार डॉ. आशा शर्मा, सामाजिक कार्यकर्ता गरियाबंद सुश्री लता नेताम, कोण्डागांव के शिल्पकार श्री भूपेश तिवारी शामिल हैं. गांधी जी के इन सभी अनुयायियों के बारे में विस्तृत रिपोर्ट हमने लल्लूराम डॉट में प्रकाशित की है,जिसका अवलोकन आप कर सकते हैं.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि गांधी जी आज भी प्रासंगिक हैं. वर्तमान दौर में भी देश और दुनिया के नवनिर्माण के लिए उनके विचार को आत्मसात करना हम सबके लिए जरूरी है. उन्होंने कहा-हम सब के अंदर जो गांधीवादी विचार हैं, उन्हें जागृत करने की आवश्यकता है. गांधी को हमें स्वयं में ढूंढना है. इससे पूरे समाज के स्वरूप को सही दिशा में बदला जा सकता है.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि महात्मा गांधी ने समाज को जोड़ने और श्रम को सम्मानित करने का कार्य किया. महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका से लौटकर पूरे देश का भ्रमण किया और विभिन्न समाजों से चर्चा करने के बाद कहा था कि भारत की आत्मा गांव में बसती है. गांधी जी ने सत्य, अहिंसा, शांति, प्रेम और भाईचारा की बात कही और इन्हीं मूल्यों के आधार पर स्वयं जीवन जीकर लोगों को आपसी सद्भाव का संदेश दिया.
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार गांधी के आदर्श और विचारों के अनुसार चल रही है. महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर छत्तीसगढ़ सरकार ने सुराजी गांव योजना का प्रारंभ करने का संकल्प लिया और गांव-गांव को स्वावलंबी बनाने का मार्ग प्रशस्त किया. इसी कड़ी में कुपोषण, अशिक्षा और बेरोजगारी को दूर करने के लिए अभियान शुरू किया. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी के विचारों के अनुसार श्रम का सम्मान करने के लिए सरकार द्वारा अपने वादे के अनुसार सबसे पहले किसानों का ऋण माफ किया.  साथ ही भूमिहीन खेतिहर मजूदरों को सालाना 6 हजार रूपए देने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है. उन्होंने कहा कि जब गांव-गरीब की जेब में पैसा आएगा, तभी उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और प्रदेश एवं देश सुदृढ़ होगा.