दिल्ली हाईकोर्ट(Delhi High Court) ने आम आदमी पार्टी (AAP) की याचिका पर केंद्र सरकार(Cental Government) से जवाब मांगा, जिसमें पार्टी कार्यालय के लिए विट्ठलभाई पटेल हाउस में किराए की मांग के खिलाफ चुनौती दी गई है. जस्टिस सचिन दत्ता ने इस मामले में केंद्र को नोटिस जारी करते हुए दो हफ्ते के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. AAP ने अपने कार्यालय के लिए सुइट के आवंटन को रद्द करने की मांग की है.
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आम आदमी पार्टी के वकील ने अदालत से 20 जून को किराए की मांग करने वाले रिमाइंडर नोटिस पर रोक लगाने की अपील की. इस पर केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि अगली सुनवाई तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं होगी. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह केवल एक नोटिस है, इसलिए मामले में जल्दबाजी की कोई आवश्यकता नहीं है.
सरकार सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत अधिभोगियों की बेदखली) अधिनियम के तहत कार्रवाई करेगी. आम आदमी पार्टी का आरोप है कि आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के संपदा निदेशालय का निर्णय एकतरफा था. यह निर्णय बिना किसी कारण बताओ नोटिस या सुनवाई का उचित अवसर दिए बिना लिया गया. मामले की अगली सुनवाई 22 जुलाई को निर्धारित की गई है.
आम आदमी पार्टी के वकील ने अपनी दलील में बताया कि संपदा निदेशालय ने बिना किसी पूर्व सूचना के विट्ठलभाई पटेल हाउस में एक ‘डबल सुइट’ का आवंटन रद्द कर दिया. यह रद्दीकरण 14 सितंबर, 2024 से प्रभावी हुआ, लेकिन याचिकाकर्ता को इसकी जानकारी पहली बार 17 जनवरी को एक पत्र के माध्यम से दी गई, जो कि काफी देर से थी.
AAP के वकील ने बताया कि याचिकाकर्ता ने 30 अप्रैल को परिसर का कब्जा सौंप दिया था. आम आदमी पार्टी का आरोप है कि प्राधिकरण ने 6 मार्च और 13 मई को जारी पत्रों में परिसर पर कब्जे के लिए आठ लाख रुपये से अधिक का किराया मांगा है, जो कि कथित निरस्तीकरण की तारीख से शुरू होता है. पार्टी ने अदालत से इस पत्र पर रोक लगाने की अपील की है.
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