नई दिल्ली . एलजी की ओर से दिल्ली प्रशासनिक अधीनस्थ सेवाएं (दास) कैडर की पुनर्गठन पर दिल्ली सरकार की सेवा मंत्री आतिशी ने आपत्ति जताई है.
आतिशी ने एलजी को पत्र लिखकर कहा कि यह आर्टिकल 239 एएए के क्लाज (3) और (4) के तहत राज्य का मामला है. एलजी इस तरह बिना चुनी हुई सरकार के सेवा विभाग के प्रभारी मंत्री से सलाह किए यह मंजूरी नहीं दे सकते है. सेवा विभाग मंत्री ने जीएनसीटीडी एक्ट (संशोधन) 2023 का भी हवाला देते हुए कहा कि यह एलजी का अधिकार नहीं है.
वैसे भी इस एक्ट को लेकर हमने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. उन्होंने कहा कि मुझे मीडिया रिपोर्ट से पता चला है कि आपने दास कैडर के पुनर्गठन में बदलाव किया है, जबकि यह आपके अधिकार क्षेत्र से बाहर है. आतिशी ने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण है कि आप इस तरह के फैसले लेकर सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ के 11 मई, 2023 को दिए गए फैसले के विपरीत है. आतिशी ने अंत में लिखा है कि जिस तरह से यह फैसला लिया गया है, अगर कोर्ट में गया तो वहां रद्द हो सकता है.
LG का ताजा आदेश दुर्भाग्यपूर्ण
एलजी वीके सक्सेना को 20 अगस्त को लिखे अपने पत्र में आतिशी ने सुप्रीम कोर्ट के 11 मई के फैसले और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) संशोधन अधिनियम 2023 का हवाला देते हुए इस कदम पर आपत्ति जताई थी. उन्होंने कहा, ‘‘मैं कहना चाहूंगी कि यह घटनाक्रम बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है, क्योंकि आपकी मंजूरी संविधान पीठ के 11 मई, 2023 के फैसले के साथ-साथ जीएनसीटीडी (संशोधन) अधिनियम, 2023 का पूरी तरह से उल्लंघन है. फिलहाल, मंत्री की टिप्पणियों और दावों पर उपराज्यपाल कार्यालय से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है.
बता दें कि दिल्ली के अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग सहित कई पहलुओं पर दिल्ली सरकार और राजनिवास के बीच लंबे अरसे से विवाद चल रहा है. सेवा विभाग के कामकाज को लेकर आतिशी सुप्रीम कोर्ट का हवाला देती हैं, तो राजनिवास संसद द्वारा पारित कानूनों के तहत मिले अधिकार की बात कर अपने फैसले का जायज ठहराते हैं.