कांग्रेस के साथ सीट शेयरिंग पर बातचीत आगे नहीं बढ़ने से नाराज आम आदमी पार्टी (AAP) ने जो रुख जाहिर किया है उससे विपक्षी इंडिया गठबंधन में एक और टूट का खतरा बढ़ गया है. आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के सामने अपनी शर्तें रखते हुए साफ कर दिया है कि मंजूर नहीं किए जाने पर पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी.
आम आदमी पार्टी (AAP) की राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) की बैठक के बाद आप नेता संदीप पाठक ने कहा कि दिल्ली में हमारी सरकार है और नगर निगम में भी हमारी सरकार है. अब इस हिसाब से देखा जाये तो दिल्ली में हमारी 6 सीटें बनती है. इसलिए हम 6 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते है कांग्रेस को 1 सीट देने को तैयार हैं.
संदीप पाठक ने कहा, ”हमारी कांग्रेस के साथ दो बार मीटिंग हुई, लेकिन निष्कर्ष कुछ नहीं निकला. इसके बाद पिछले 1 महीने में एक भी मीटिंग नहीं हुई. पहले न्याय यात्रा वजह बतायी गयी औेर इसके बाद कुछ नहीं बताया. कांग्रेस के किसी नेता को कोई आइडिया नहीं कि कब मीटिंग होगी. आज भारी मन से बोलना पड़ रहा है.”
आम आदमी पार्टी ने गोवा और गुजरात की तीन सीटों पर उम्मीदवारों की भी घोषणा कर दी और कहा कि दिल्ली में कांग्रेस ने प्रस्ताव मंजूर नहीं किया तो प्रत्याशियों की घोषणा कर दी जाएगी. उन्होंने कहा कि साउथ गोवा सीट से आम आदमी पार्टी ने विधायक वेन्जी विएगस को उम्मीदवार बनाया है. गुजरात में भरूच लोकसभा सीट से चैतर वसावा और भावनगर से उमेश भाई मकवाना को उम्मीदवार बनाने का ऐलान किया गया. आप ने उम्मीद जाहिर की है कि इंडिया गठबंधन उनकी ओर से किए गए ऐलान को स्वीकार करेगी. संदीप पाठक ने आप और कांग्रेस को मिले वोटों की तुलना करते हुए आम आदमी पार्टी को 8 सीटों का हकदार बताया. उन्होंने कहा कि कुछ दिन बाद पार्टी 6 सीटों पर भी उम्मीदवार का ऐलान करेगी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस को 18 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए.
संदीप पाठक ने कहा, ”गुजरात के भरूच से चैतर बसावा और भावनगर से उमेश भाई मखवाना को उम्मीदवार घोषित कर रहे है. गुजरात में गठबंधन में हमारी 8 सीटें बनती है. हमें लगता है कि कांग्रेस इस पर हमारा समर्थन करेगी.” उन्होंने कहा कि हम गठबंधन धर्म को निभाना चाहते हैं लेकिन जो देरी हो रही है वो ठीक नहीं है.
आम आदमी पार्टी (आप) का ये कदम इंडिया गठबंधन के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. इससे पहले ममता बनर्जी भी अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी हैं. वहीं इंडिया गठबंधन बनने के बाद नीतीश कुमार और जयंत चौधरी खुद को खेमे से अलग कर चुके हैं और एनडीए का हाथ थामा है.