सत्या राजपूत रायपुर. परसा केते कोल ब्लॉक पर अदानी ग्रुप के काम शुरू करने को लेकर आदिवासी ग्रामीणों के विरोध को देखते हुए आम आदमी पार्टी (आप) की 11 सदस्यीय जांच कमेटी ने प्रभावित ग्रामीणों से चर्चा के बाद अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक की है, जिसमें ग्रामीणों ने बिना ग्राम सभा के अनुमोदन के फर्जी दस्तावेजों व जनसुनवाई के जरिए आबंटन की प्रक्रिया पूर्ण करने की बात कही है.

जांच दल में आप के प्रदेश अध्यक्ष कोमल हुपेंडी, प्रदेश संगठन मंत्री सूरज उपाध्याय, सचिव उत्तम जायसवाल, प्रदेश सह संयोजक दुर्गा झा, स्टेट को-कोऑर्डिनेटर प्रफुल्ल बैस, संजय शर्मा, सरगुजा जिला से मनोज दुबे, बिलासपुर से प्रथमेश मिश्रा, डीडी सिंह, संजय अग्रवाल, सुरेश पचौरी शामिल थे. वहीं जांच दल के समन्वयक संतराम सलाम, रामेश्वर विश्वकर्मा, अजय सिंह, साकेत त्रिपाठी थे. दल ने 2 अप्रैल को सरगुजा क्षेत्र के ग्राम मदनपुर में क्षेत्र में कार्य करने वाली समाजसेवी संस्थाओं से मुलाकात करने के साथ 3 अप्रैल को परसा केते कोल ब्लॉक से सीधे तौर पर प्रभावित ग्राम – सालही, फत्तेपुर, हाटबर्रा सहित अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हरिहरपुर जैसे पांच ग्रामों के निवासियों से मुलाकात की.

बिना अनुमति कर रहे थे घर-बाड़ी का नापजोख

फत्तेपुर में ग्रामीणों ने बताया कि क्षेत्र में इस समय महुआ एकत्र करने का सीजन चल रहा है. गांव के स्त्री-पुरुष सुबह ही महुआ बीनने जंगल चले जाते हैं. जब हम दोपहर में वापस गांव पहुंचे तो राजस्व विभाग के कर्मचारी 23 गाड़ियों में भरकर आई पुलिस के संरक्षण में हमारे घर-बाड़ी का नापजोख बिना हमारी जानकारी के कर रहे थे. जिसका हमनें कड़ा विरोध किया फलस्वरूप अधिकारी और पुलिस दल को वापस जाना पड़ा. ग्रामीणों ने बताया कि बिना ग्रामसभा के अनुमोदन के फर्जी दस्तावेजों के सहारे एवम् फर्जी जनसुनवाई के द्वारा प्रक्रिया की महत्वपूर्ण कड़ी को पूरा किया गया.

कोई रिपोर्ट बताई या दिखाई नहीं

परसा केते कोल ब्लॉक में अदानी ग्रुप को काम शुरू करने की अनुमति की जानकारी से नाराज ग्रामीणों ने बताया कि वे जनपद, जिला पंचायत, ब्लॉक तहसील, जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से कई बार लिखित और मौखिक तौर पर गुहार लगा चुके हैं, लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई. पांचवी अनुसूची के अंतर्गत आदिवासियों के हितों की रक्षा की बात सिर्फ एक छलावा है. आम आदमी पार्टी के जांच दल ने कोल ब्लॉक से खनन करने से ग्रामीणों के जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव की अध्ययन रिपोर्ट के बारे में ग्रामीणों ने बताया कि इस तरह की कोई रिपोर्ट उन्हें किसी ने बताई या दिखाई नहीं है. कोल ब्लॉक के निजीकरण से आदिवसियों के विकास की बात बेमानी है.