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तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने केंद्र की बीजेपी सरकार को राज्य में हिंदी को थोपने का आरोप लगाया और कहा कि हिंदी ने कितनी भारतीय भाषाओं को निगल लिया. उनके इस बयान ने राजनीतिक बहस पैदा की है. आम आदमी पार्टी के नेता और प्रसिद्ध शिक्षक अवध ओझा ने कहा कि एमके स्टालिन को अपने निर्णय पर फिर से विचार करना चाहिए.
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AAP नेता अवध ओझा ने कहा, “जब से ये भाषा 19वीं शताब्दी से डेवलप होना शुरू हुआ तब से हरीशच्रंद से लेकर नागार्जुन तक, इस भाषा (हिंदी) ने जोड़ने का ही काम किया है. इसकी सरलता की वजह से अडॉप्टिव लेंग्वेज रही है. शायद जानकारी के अभाव में एम के स्टालिन ने ऐसा कहा होगा. उन्हें अपने वक्तव्य पर विचार करना होगा
‘हिंदी ने कितनी भारतीय भाषाओं को निगल लिया’
बता दें कि एमके स्टालिन ने एक वीडियो संदेश जारी करते हुए कहा, “अन्य राज्यों से आए मेरे प्रिय बहनों और भाइयों, कभी सोचा है कि हिंदी ने कितनी भारतीय भाषाओं को निगल लिया है? भोजपुरी, मैथिली, अवधी, ब्रज, बुंदेली, गढ़वाली, कुमाऊंनी, मगही, मारवाड़ी, मालवी, छत्तीसगढ़ी, संथाली, अंगिका, हो, खड़िया, खोरठा, कुरमाली, कुरुख, मुंडारी और कई अन्य भाषाएं अब अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही हैं.”
बता दें कि एमके स्टालिन की पार्टी इंडिया गठबंधन में शामिल है, इसलिए बीजेपी और इंडिया गठबंधन में एमके स्टालिन के साथी दल उनके बयान पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं.
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