दिल्ली की एक अदालत ने आम आदमी पार्टी(AAP) के ओखला विधायक अमानतुल्लाह खान (Amanatullah Khan) और 10 अन्य व्यक्तियों के खिलाफ दिल्ली वक्फ बोर्ड में अवैध नियुक्तियों से संबंधित भ्रष्टाचार के आरोप तय किए हैं. हाल ही में सीबीआई ने इस मामले में एक सप्लीमेंट्री चार्जशीट पेश की, जिसमें खान को मुख्य आरोपी के रूप में नामित किया गया है. यह मामला 2016 से जांच के अधीन था और अब इसमें एक नया मोड़ आया है.

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सप्लीमेंट्री चार्जशीट का नया खुलासा

CBI ने 18 जुलाई 2025 को एक सप्लीमेंट्री चार्जशीट पेश की, जिसमें खान और उनके सहयोगियों के खिलाफ नए सबूत प्रस्तुत किए गए. जांच में यह सामने आया कि खान ने बोर्ड के सीईओ समेत कई महत्वपूर्ण पदों पर अपने करीबी लोगों की नियुक्ति की, जबकि नियमों का उल्लंघन किया गया. एक अधिकारी के अनुसार, कुछ नियुक्तियों को वैधता प्रदान करने के लिए 24 अप्रैल 2016 को उर्दू अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित किए गए, लेकिन यह केवल एक औपचारिकता थी.

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यह मामला केवल CBI तक सीमित नहीं है, बल्कि ED भी खान के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच कर रही है. ईडी ने 2 सितंबर 2024 को खान को गिरफ्तार किया था, लेकिन नवंबर 2024 में दिल्ली की एक अदालत ने अभियोजन स्वीकृति की कमी के कारण उन्हें रिहा करने का आदेश दिया. ईडी का आरोप है कि खान ने अवैध नियुक्तियों और वक्फ बोर्ड की संपत्तियों के अनुचित पट्टे के माध्यम से 36 करोड़ रुपये की राशि का हेरफेर किया, जिसे उनके सहयोगियों के नाम पर संपत्तियों में निवेश किया गया.

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क्या है मामला?

सीबीआई ने आरोप लगाया है कि अमानतुल्लाह खान ने 2016 से 2021 के बीच दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में अपने पद का दुरुपयोग किया. जांच एजेंसी के अनुसार, खान ने अपने रिश्तेदारों और करीबी लोगों को बोर्ड में अवैध रूप से विभिन्न पदों पर नियुक्त किया, जिससे सरकारी खजाने को नुकसान हुआ. सीबीआई का कहना है कि इन नियुक्तियों में न तो नियमों का पालन किया गया और न ही पारदर्शिता बरती गई. कुल 41 नियुक्तियों में से केवल 22 के लिए विज्ञापन जारी किए गए, जबकि शेष को खान के निर्देश पर अनौपचारिक रूप से नियुक्त किया गया. इन नियुक्तियों के कारण वक्फ बोर्ड को 27.2 लाख रुपये का वित्तीय नुकसान हुआ.