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रेहान अंसारी, मुरादाबाद। हम अक्सर सुनते हैं कि, ‘हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई आपस में है भाई-भाई’ कुछ ऐसा ही उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में देखने को मिला। जहां मजहब की दीवारों को तोड़ मुस्लिमों ने एक मिसाल कायम की है। जो पूरे जिले मे चर्चा का विषय बनी हुई है। यह सब कुछ तब हुआ जब एक हिंदू बुजुर्ग की बीमारी के कारण मौत हो गई। तो मुस्लिम युवाओं ने उसका अंतिम संस्कार पूरे हिंदू रीति-रिवाज से किया। इस कार्य ने समाज में एकता भाईचारे और इंसानियत का संदेश दिया है।
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क्या है मामला
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के कुंदरकी कस्बे में मजहब की दीवारों को तोड़ मुस्लिमों ने एक मिसाल कायम की है संतोष नाम के हिंदू शख्स की मौत हो जाने पर उसका अंतिम संस्कार पूरे हिंदू रीति-रिवाज से किया। साथ ही उन लोगों को जवाब भी दिया, जो हर बात में हिंदू-मुस्लिम करके समाज में जाति और धर्म का जहर घोलने का काम करते हैं। मूलरूप से राजस्थान का रहने वाला संतोष कुछ सालों से मुरादाबाद के कुंदरकी कस्बे में रह रहा था। बुधवार को बीमारी के चलते संतोष की मौत हो गई। अब चूंकि संतोष का यहां कोई अपना नहीं था तो कस्बे में रहने वाले मुस्लिम परिवारों ने संतोष का अंतिम संस्कार करने का निर्णय लिया।
चंदा कर किया अंतिम संस्कार का सामान
पहले तो बाजार से अंतिम संस्कार का सामान खरीद कर लाए। फिर अपने हाथों से अर्थी बनाई मुस्लिम युवकों ने अपने कंधों पर संतोष की अर्थी रखी और मोक्षधाम पहुंचकर उसका हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार किया। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने कहा कि जैसे ही हमें इस घटना की सूचना मिली हमने पुलिस को सूचना दी। थाना पुलिस ने मौके पर पहुंचकर कागजी कार्रवाई की और संतोष के अंतिम संस्कार को लेकर हम लोगों से राय मशवरा किया। पुलिस ने हम लोगों को अंतिम संस्कार करने की जिम्मेदारी सौंपी। जिसका हमने निर्वहन किया।
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इंसानियत के लिए किया
क्षेत्र में रहने वाले मुस्लिम भाइयों ने चंदा जमा कर अंतिम संस्कार के लिए सामान खरीदा। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने कहा कि यह काम सिर्फ इंसानियत के लिए किया है। हम लोगों ने किसी भी मजहब के लिए नहीं पहले, इंसानियत के लिए यह काम किया है। हमारा संदेश भी यही है कि सब लोग आपस में मोहब्बत रखें। कोई हिंदू-मुसलमान नहीं है। इंसान की जिंदगी में सबसे अहम चीज इंसानियत है। यही हम लोग चाहते हैं लोग जागरूक हो सकें। हिंदू-मुसलमान एक-दूसरे को जागरूक करें। हम लोग भाई-भाई हैं। कभी भी कोई भी राजनीति हिंदू-मुसलमान के नाम पर नहीं होनी चाहिए।
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