नई दिल्ली. नागरिकता संसोधन विधेयक के मुद्दे पर इस्तीफा देने वाले भारतीय पुलिस सेवा के महाराष्ट्र कैडर के अधिकारी अब्दुर रहमान  ने इंटरनेट में काफी सुर्खियां बटोरी. लेकिन अब उनकी पोल खुल गई है. नागरिकता विधेयक के मुद्दे पर इस्तीफा देने का ढोल पीटने वाले इस आईपीएस अधिकारी ने काफी पहले ही स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति आवेदन दे रखा था. पहले से ही पुलिस सेवा से रिटायरमेंट लेने की प्रक्रिया शुरू कर रखे इस अधिकारी ने नागरिकता विधेयक के मुद्दे पर इस्तीफा देने का झूठा प्रपंच रचा था.

आईपीएस अधिकारी अब्दुर रहमान ने अगस्त महीने में ही वीआरएस का आवेदन दिया था. 1 अगस्त को ही इन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने का आवेदन संबंधित विभागों को दिया था. गृह मंत्रालय ने इनके आवेदन को खारिज कर दिया था. केंद्रीय गृह मंत्रालय से आवेदन खारिज होने के बाद उन्होंने 6 नवंबर को केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में भी अपील कर रखी है, जहां से कि गृह मंत्रालय सहित संबंधित विभागों को नोटिस जारी हो चुका है. इनके स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के आवेदन को राज्य सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास भेज दिया था.

25 अक्टूबर 2019 को केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने इनके आवेदन को खारिज कर दिया था. गृह मंत्रालय द्वारा इनके स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की याचिका खारिज होने के बाद ही इन्होंने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण यानी कैट की शरण ली थी. कैट में इन्होंने गृह मंत्रालय के आदेश को चुनौती दी है. कैट ने सभी संबंधित पक्षों को नोटिस भी जारी किया है. वीआरएस की प्रक्रिया लंबी होती है और वीआरएस की प्रक्रिया पहले ही शुरू कर रखे इस आईपीएस अधिकारी ने नागरिकता विधेयक के मुद्दे पर इस्तीफा देने की बात कहकर एक तरह से सस्ती लोकप्रियता हासिल करने की कवायद ही की है.