सत्यपाल राजपूत, रायपुर। हॉस्टल, छात्रावास, बनवासी आश्रम में रह कर पढ़ाई करने वाले या फिर इन जगहों पर रह कर आगामी पढ़ाई करने के लिए तैयार योग्य विद्यार्थी पढ़ाई छोड़ने को मजबूर हो गए हैं, क्योंकि कोरोना काल के मद्देनज़र 50% रोस्टर स्कूल कॉलेज के लिए तैयार है. इसी रोस्टर को हॉस्टल में भी लागू कर दिया गया है, जिसकी वजह से सीट आधी हो गई है. यानी जो पहले से प्रवेशित बच्चे हैं, उनको भी 50 प्रतिशत ख़ाली करने के चक्कर में निकाला गया है. साथ ही आगामी सत्र में विद्यार्थी प्रवेश लेने के लिए भटक रहे हैं. छात्र परेशान होने के बाद अब उच्च शिक्षा मंत्री और स्कूल शिक्षा मंत्री से गुहार लगा रहे हैं.

छत्तीसगढ़ के सभी ज़िलों में समस्याएं
यह समस्या किसी एक जिला का नहीं है, बल्कि छत्तीसगढ़ के सभी ज़िलों की है. जहां आदिम जाति विभाग के छात्रावास और आश्रम संचालित है, यही समस्या इसकी शिक्षा विभाग के हॉस्टल और छात्रावास में भी है.

आदिम जाति विभाग के स्कूल के लिए लगभग 1100 आश्रम और लगभग 500 छात्रावास संचालित हैं. जहां लगभग दो लाख विद्यार्थी रह कर पढ़ाई करते रहे हैं. ठीक वैसे ही उच्च शिक्षा विभाग द्वारा आदिम जाति के लिए संचालित आश्रम और छात्रावासों की स्थिति है. ठीक ऐसा ही हालात इसको शिक्षा द्वारा संचालित छात्रावासों का भी है.

छात्र नेता योगेश और उनके साथ पहुंचे विद्यार्थियों ने बताया कि हॉस्टल में इस बार कोरोना गाइडलाइन के कारण आधे सीट में बच्चों को अलॉट किए गए हैं. हम योग्य हैं, लिस्ट में नाम भी है, लेकिन हम को भगा दिया जा रहा है. प्रदेश भर में आदिम जाति विभाग में आश्रम एवं छात्रावास में दो लाख सीट है.

इसमें एक लाख विद्यार्थी ही हॉस्टल में रह पाएंगे, बाक़ी एक लाख विद्यार्थी पढ़ाई छोड़ने को मजबूर हैं. ये वो विद्यार्थी हैं, जो दूर दराज़ से पढ़ाई करने के लिए अपने भविष्य संवारने हॉस्टल को विकल्प समझा, लेकिन अब हमारे पास गुहार लगाने के अलावा और कुछ विकल्प नहीं है.

वहीं विद्यार्थियों ने सवाल उठाया कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण कम हो गया है, टॉकिज पूरे सीट संचालित हो रहे हैं. सारे कार्यालयों मे शत प्रतिशत उपस्थिति है, लेकिन आश्रम और स्कूल में 50 प्रतिशत उपस्थिति क्यों ?.

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