अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन(Delhi University administration) के खिलाफ एक प्रभावशाली विरोध प्रदर्शन आयोजित किया. इस दौरान, छात्र हितों से संबंधित कई महत्वपूर्ण मांगों को लेकर हजारों छात्रों ने ‘छात्र अधिकार मार्च’ निकाला. मार्च के समापन के बाद, ABVP और उसके समर्थित दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) के पदाधिकारी अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए.

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छात्रों की उपेक्षा का लगाया आरोप

एबीवीपी ने मार्च की शुरुआत दिल्ली विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (एसओएल) से की, जो मेट्रो की मुख्य सड़क से होते हुए कला संकाय (आर्ट्स फैकल्टी) तक पहुंचा. छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर उनकी उपेक्षा का आरोप लगाते हुए धरना दिया और अपनी मांगों को लेकर संघर्ष को तेज करने की घोषणा की.

ये हैं मांगें

एबीवीपी ने विश्वविद्यालय में केंद्रीयकृत हॉस्टल आवंटन प्रणाली के शीघ्र कार्यान्वयन, पीजी पाठ्यक्रमों में ‘एक कोर्स, एक फीस’ नीति की लागू करने, कॉलेजों में अनैतिक रूप से बढ़ाई गई फीस को तुरंत वापस लेने और सभी कॉलेजों में आंतरिक शिकायत समिति (ICC) के पूर्ण गठन एवं प्रभावी कार्यान्वयन की मांग की है.

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एबीवीपी दिल्ली प्रांत मंत्री सार्थक शर्मा ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों की समस्याओं की अनदेखी कर रहा है. वे हॉस्टल, फीस और सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर वर्षों से आवाज़ उठा रहे हैं, लेकिन समाधान के नाम पर केवल औपचारिकताएँ की जा रही हैं.

‘ये अभी चेतावनी’

उन्होंने कहा कि ‘छात्र अधिकार मार्च’ एक चेतावनी है. यदि प्रशासन ने संवाद और समाधान की दिशा में कदम नहीं उठाए, तो हमारा धरना और आंदोलन और भी व्यापक रूप लेगा. साथ ही, हम प्रशासन को यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक हम धरने से नहीं उठेंगे.

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‘जमीनी स्तर पर सक्रिय हो ICC’

डूसू सचिव मित्रविंदा कर्णवाल ने महिला सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर विश्वविद्यालय की लापरवाही को गंभीर बताया. उन्होंने कहा कि ICC का गठन केवल कागजी कार्रवाई तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि इसे वास्तविकता में सक्रिय रूप से कार्य करना चाहिए. छात्राओं की गरिमा, सुरक्षा और शिकायत निवारण की पूरी व्यवस्था की मांग करते हुए, उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन से अपनी मांगों को स्वीकार करने की अपील की.

‘ये छात्र अधिकारों का संकल्प’

डूसू उपाध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने कहा कि यह आंदोलन केवल मांगों की सूची नहीं है, बल्कि यह छात्र समुदाय के अधिकारों की रक्षा का एक दृढ़ संकल्प है. यदि विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस शांतिपूर्ण आंदोलन को नजरअंदाज किया, तो यह संघर्ष हर कॉलेज और हर छात्र तक फैल जाएगा, और हम अपनी मांगों को पूरा कराकर ही दम लेंगे.