दिल्ली के पूर्व मंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रमुख नेता मनीष सिसोदिया(Manish Sisodiya) और सत्येंद्र जैन (Satyendra Jain) एक नए भ्रष्टाचार मामले में फंसते नजर आ रहे हैं. एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने लगभग 2,000 करोड़ रुपये के घोटाले के आरोप में दोनों नेताओं को समन भेजकर पूछताछ के लिए बुलाया है. एसीबी ने अप्रैल में सिसोदिया और जैन के खिलाफ दिल्ली सरकार के स्कूलों में अत्यधिक लागत पर क्लासरूम्स के निर्माण में भ्रष्टाचार के संबंध में FIR दर्ज की थी. इसके बाद, दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा(Virendra Sachdeva) ने एसीबी से पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल(Arvind Kejriwal) की भूमिका की भी जांच करने की मांग की है.

एसीबी ने आज जानकारी दी कि दिल्ली सरकार के स्कूलों में क्लासरूम्स के निर्माण में कथित भ्रष्टाचार के मामले में पूर्व मंत्रियों और ‘आप’ नेताओं मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन को समन जारी किया गया है. सत्येंद्र जैन को 6 जून को एसीबी कार्यालय में उपस्थित होने के लिए कहा गया है, जबकि मनीष सिसोदिया को 9 जून को पेश होने का निर्देश दिया गया है.

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क्या है मामला?

एसीबी ने अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली ‘आप’ सरकार के कार्यकाल में 12,748 क्लासरूम्स के निर्माण में कथित भ्रष्टाचार के मामले में अप्रैल महीने में ‘आप’ के नेताओं मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी.

एसीबी ने एक बयान में बताया कि यह घोटाला लगभग 2,000 करोड़ रुपये का है, जिसमें अत्यधिक बढ़ी हुई दरों पर ठेके दिए गए थे. बयान के अनुसार, हर क्लासरूम का निर्माण 24.86 लाख रुपये में किया गया, जो सामान्य लागत से लगभग पांच गुना अधिक है. यह कार्य कथित तौर पर ‘आप’ से जुड़े ठेकेदारों को सौंपा गया था. इसके अलावा, सक्षम प्राधिकारी से भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम की धारा 17-ए के तहत आवश्यक मंजूरी मिलने के बाद ही मामला दर्ज किया गया.

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एसीबी अधिकारियों के अनुसार, इस परियोजना में राजधानी में लगभग 12,748 कक्षाओं और स्कूल भवनों का निर्माण शामिल था, जिसमें वित्तीय अनियमितताओं और लागत में वृद्धि की समस्याएं सामने आईं.

परियोजना को प्रारंभ में स्वीकृत लागत पर इस शर्त के साथ मंजूरी दी गई थी कि इसे जून 2016 तक पूरा किया जाएगा और भविष्य में लागत में वृद्धि की कोई संभावना नहीं होगी. हालांकि, एसीबी ने अपने बयान में आरोप लगाया कि निर्धारित समय सीमा के भीतर कोई भी कार्य पूरा नहीं किया गया. इस कथित घोटाले के संबंध में भाजपा नेता हरीश खुराना, कपिल मिश्रा और नीलकंठ बख्शी के खिलाफ शिकायतें प्राप्त हुई थीं.

इस परियोजना पर कुल 2,892 करोड़ रुपये खर्च होने का आरोप है, जिससे प्रति कक्षा की लागत 24.86 लाख रुपये हो गई, जबकि मानक मानदंडों के अनुसार प्रति कमरे की अनुमानित लागत केवल पांच लाख रुपये थी. जांच में यह भी सामने आया कि परियोजना 34 ठेकेदारों को सौंपी गई थी, जिनमें से अधिकांश कथित तौर पर ‘आप’ से जुड़े हुए हैं.

निर्माण में अर्द्ध-स्थायी ढांचे (एसपीएस) का उपयोग किया गया, जिनकी अपेक्षित सेवा अवधि 30 वर्ष है, जबकि उनकी लागत सीमेंट कंक्रीट (आरसीसी) ढांचों के समान थी. आरसीसी ढांचों की सेवा अवधि सामान्यतः 75 वर्ष तक होती है.

बयान में उल्लेख किया गया है कि अधिकारियों ने एसपीएस निर्माण के अपनाने से कोई वित्तीय लाभ नहीं मिलने की पुष्टि की. एसीबी ने यह भी आरोप लगाया कि परियोजना के सलाहकार और वास्तुकार को उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना नियुक्त किया गया था. केंद्रीय सतर्कता आयोग के मुख्य तकनीकी परीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में विभिन्न नियमों के गंभीर उल्लंघनों को उजागर किया, जिसमें केंद्रीय लोक निर्माण विभाग कार्य नियमावली 2014, जीएफआर 2017 और सीवीसी दिशानिर्देशों के उल्लंघन शामिल हैं. हालांकि, यह रिपोर्ट लगभग तीन वर्षों तक दबा कर रखी गई थी.

एसीबी के अनुसार, एसपीएस कक्षाओं की प्रति वर्ग फुट लागत 2,292 रुपये आंकी गई, जबकि पक्के मॉडल स्कूलों के लिए यह 2,044 से 2,416 रुपये प्रति वर्ग फुट थी. इसने कक्षाओं के निर्माण में एसपीएस के उपयोग से किसी भी संभावित वित्तीय लाभ को नकार दिया. प्रारंभिक निविदा राशि 860.63 करोड़ रुपये थी, जो बाद में 17 प्रतिशत से बढ़कर 90 प्रतिशत हो गई. एसीबी ने बताया कि इसमें से 205.45 करोड़ रुपये सीधे अधिक विनिर्देशों के कारण थे, जो मूल निविदा मूल्य का लगभग 24 प्रतिशत बनता है.

सीवीसी के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए, इन परिवर्तनों के लिए कोई नई निविदा आमंत्रित नहीं की गई. एक बयान में बताया गया है कि पांच स्कूलों में 42.5 करोड़ रुपये का कार्य बिना उचित निविदाओं के, मौजूदा अनुबंधों के माध्यम से किया गया. इस पूरे मामले की गहराई से जांच शुरू की गई है ताकि ‘आप’ नेताओं, अज्ञात सरकारी अधिकारियों और ठेकेदारों की भूमिका और जिम्मेदारी का पता लगाया जा सके.