एक्सीडेंट का राज
चंद महीनों पुराना राज है, जो अब जाकर बाहर आया है. लाख छुपाने की कोशिश की गई थी, मगर सारी कोशिश धरी की धरी रह गई. मसला यूं है कि रायपुर से बस्तर जाने के रास्ते फॉरेस्ट के एक बड़े डिवीजन के डीएफओ की नई नवेली सरकारी स्कॉर्पियो गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया. गाड़ी के परखच्चे उड़ गए. गाड़ी में डीएफओ नहीं थे. गाड़ी डीएफओ के किसी परिचित को छोड़ने रायपुर एयरपोर्ट आई थी और वापस लौट रही थी कि ट्रैक्टर से भिड़ंत हो गई. एक्सीडेंट सामान्य बात है. मगर जिन हालातों में यह घटना घटी, यह असामान्य था. इस एक्सीडेंट की रिपोर्ट ना तो थाने में लिखवाई गई, ना ही विभाग को इसकी सूचना भेजी गई. सरकार को कानो कान खबर ना हो, इसलिए गाड़ी निजी खर्च से बनवाई गई. डीएफओ ने गाड़ी बनवाने में आए खर्च की व्यवस्था की जिम्मेदारी अपने मातहत अधिकारियों के मत्थे डाल रखा था. घटना के चंद महीने बाद अब परते उधड़ रही हैं. तस्वीर साफ हो रही है. लोग यह दावा कर रहे हैं कि गाड़ी में किसी जानवर का खाल रखा गया था. डीएफओ की गाड़ी में खाल का होना कई सवाल उठा रहा है? वन महकमे को इस पर संज्ञान लेने की जरूरत है.
घबराए नौकरशाह !
कुछ नौकरशाह घबराए हुए हैं. सुनने में आया है कि उन्हें इस बात की खबर मिल गई है कि वह आईटी-ईडी के निशाने पर हैं. बटोर इतना लिया गया है कि ठिकाना लगा पाना भी आसान नहीं रहा. ठिकाना लगाने के लिए जिन लोगों से एप्रोच किया गया. खबर वहीं से लीक होने की अटकले हैं. सुनाई पड़ा है कि दो आईएएस, दो आईपीएस समेत करीब एक दर्जन लोगों के खिलाफ सेंट्रल एजेंसी बड़ी कार्रवाई करने की तैयारी में है. दस्तावेजी प्रक्रिया चल रही है. वक्त देखकर कभी भी कार्रवाई हो सकती है. बताया जा रहा है कि इस दफे पाॅलिटिशियन, बड़े औद्योगिक घराने भी जद में होंगे.
निजी बैंकों में सरकारी पैसा
यकीनन सार्वजनिक बैंकों में सरकारी पैसा रखने का कोई फायदा नहीं रहा होगा, इसलिए ही वहां से निकालकर निजी बैंकों में रखे जाने का सिलसिला चल पड़ा है. ‘पाॅवर सेंटर’ में ही हमने खुलासा किया था कि महिला एवं बाल विकास विभाग के कई सौ करोड़ रुपए निजी बैंक में रख दिए गए. इसके ऐवज में विभाग के पांच अधिकारियों को गाड़ियां देकर उनका ख्याल रखा गया था. खुलासा हुआ तो अधिकारियों ने कभी सीएसआर फंड के तहत गाड़ी मिलने की दलील दी थी, तो कभी गाड़ियां वापस लौटाने का बयान जारी किया. मगर ढाक के तीन पात वाली बात साबित हुई. किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई. एक और विभाग ने सरकारी पैसा सार्वजनिक बैंकों में रखने से परहेज किया. ये विभाग है स्कूल शिक्षा. करीब पांच सौ करोड़ रुपए निजी बैंकों में रख दिया गया. बताते हैं कि सार्वजनिक बैंकों की तुलना में निजी बैंक कम ब्याज देते हैं, बावजूद इसके ऐसे फैसले लेना समझ के परे हैं.
एक्सिस बैंक पहली पसंद ?
सार्वजनिक बैंकों से निजी बैंक में सरकारी रकम शिफ्ट करने के इस खेल में एक्सिस बैंक पहली पसंद है. शायद ये बैंक वाले विभागों को पारस पत्थर दिखाते होंगे, ये कहते हुए कि सबसे ज्यादा फायदा कहीं है, तो बस यही बैंक है. बीज निगम का हालिया मामला सामने है, जहां तीन अलग-अलग बैंकों में रखी गई बड़ी रकम एक्सिस बैंक में शिफ्ट कर दी गई थी. ठगों ने धीरे-धीरे कर 16 करोड़ रुपए निकाल लिए थे. बीज निगम बेखबर रहा. मामला फूटा, मगर बीज निगम कटघरे से बाहर ही रहा. कोई सवाल तक नहीं. किसी की भी जिम्मेदारी तय नहीं हुई. ना ही किसी तरह की कार्रवाई हुई. सूत्र बताते हैं कि मौजूदा वक्त में निजी बैंकों में जमा की गई सरकारी रकम में करीब 80 फीसदी रकम एक्सिस बैंक में जमा किया गया है. सरकार जरा इस ओर नजरें इनायत करे, तो हकीकत से पर्देदारी खत्म होगी. मालूम चल सकेगा कि आखिर खेल क्या चल रहा है? कहीं सरकार की आंखों में धूल झोंकने का कारोबार तो नहीं चल रहा?
IAS-IPS तबादले
अमूमन ऐसा कम ही होता होगा कि एक विभाग के सेक्रेटरी और डायरेक्टर दोनों एक साथ सेंट्रल डेप्युटेशन के लिए रिलीव किए जाएं. स्वास्थ्य महकमे की सेक्रेटरी डाॅ.मनिंदर कौर द्विवेदी और डायरेक्टर नीरज बंसोड़ एक ही वक्त पर सेंट्रल डेप्युटेशन पर दिल्ली जा रहे हैं. जाहिर है, जल्द ही आईएएस की एक छोटी लिस्ट जारी होगी. चर्चा है कि सरकार आर प्रसन्ना को स्वास्थ्य सचिव और अब्दुल केसर हक को डायरेक्टर का जिम्मा दे सकती है. इधर पुलिस महकमे में भी कुछ अहम बदलाव होने की खबर है. यह फेरबदल आईजी-एसपी लेवल पर होंगे. बद्रीनारायण मीणा दो बड़े रेंज रायपुर-दुर्ग की एक साथ जिम्मेदारी निभा रहे हैं. ओ पी पाल को हटाए जाने के बाद इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि रायपुर रेंज के लिए आरिफ शेख या अजय यादव लाए जा सकते हैं, मगर सरकार ने बद्री मीणा को रायपुर के साथ-साथ दुर्ग रेंज का प्रभार सौंप दिया. बस्तर संभालते हुए सुंदरराज पी को लंबा वक्त बीत गया. चर्चा है कि सरकार उन्हें अब मैदानी इलाकों में लाने की तैयारी कर रही है. आईजी के साथ कुछ जिलों में एसपी भी बदले जाएंगे, इस बात के संकेत हैं.
‘मिशन -75’
छत्तीसगढ़ बीजेपी इन दिनों ‘मिशन-75’ पर जुटी हुई है. ‘मिशन-75’ का मतलब 75 ऐसे चेहरों को ढूंढना है, जो चुनावी वैतरणी पार करा सकते हैं. खबर है कि बीजेपी ने 75 नए चेहरों के साथ चुनाव लड़ने की रणनीति तैयार की है. क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल के आने के बाद से इस मुहिम में तेजी आई है. सुनते हैं कि पार्टी के प्रमुख रणनीतिकारों ने फैसला कर लिया है कि सत्ता की तीन पारी में मंत्री रहे किसी भी चेहरे को टिकट नहीं दिया जाएगा. एक-दो अपवाद स्वरुप मिल जाए, तो बड़ी बात होगी. इस नए फार्मूले में ये तय माना जा रहा है कि कई बड़े चेहरों का रिटायरमेंट तय है. कुछ जोड़ तोड़ के साथ अपनी राजनीति बचा सकते हैं. दूसरी बड़ी जानकारी बीजेपी से यह निकलकर आई है कि पार्टी आलाकमान अपने हर एक विधायक का परफारमेंस ट्रैक कर रही है. सोशल मीडिया एक्टिविटी, विधायक निधि, आजीवन सहयोग निधि, बूथ सशक्तिकरण जैसे कई पैरामीटर के आधार पर एक एप के जरिए विधायकों का रिपोर्ट कार्ड तैयार हो रहा है. विधायकों की ये रेटिंग ही तय इनका भविष्य तय करेगी. वैसे तो बीजेपी देशभर के अपने 1372 विधायकों और सभी सांसदों के परफारमेंट पर नजर बनाए हुए हैं, मगर फिलहाल उन राज्यों के विधायकों पर जोर ज्यादा दिया जा रहा है, जहां चुनाव होने हैं.