Bilkis Bano Case: बिलकिस बानो सामूहिक दुष्कर्म के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों को सरेंडर करने के लिए और समय देने से इंकार कर दिया है. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा है कि दोषियों की इस याचिका में कोई मेरिट नहीं है. इसे भी पढ़ें : CG CORONA UPDATE : प्रदेश में 17 लोग पाए गए कोरोना पॉजिटिव, इस जिले में सबसे ज्यादा एक्टिव मरीज
बता दें कि बिलकिस बानो सामूहिक दुष्कर्म मामले के दोषियों ने कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिर कर मांग की थी कि उनके आत्म समर्पण करने के समय को बढ़ा दिया जाए. याचिका दाखिल करने वालों में गोविंदभाई नाई, रमेश रूपाभाई चांदना और मितेश चिमनलाल भट्ट शामिल हैं.
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सुप्रीम कोर्ट में दी गई याचिका में गोविंदभाई नाई ने बीमारी का हवाला देते हुए आत्मसमपर्पण का समय चार हफ्ते बढ़ाए जाने की मांग की है. नाई ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी अर्जी में कहा था कि मेरे पिता 88 साल के हैं और वह बीमार भी हैं. उनकी हालत ऐसी है कि वह बिस्तर से उठ भी नहीं सकते हैं. और किसी भी काम के लिए मुझपर ही निर्भर हैं.
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नाई ने आगे यह भी कहा था कि वह 2 बच्चों का पिता भी हैं, जो अपनी वित्तीय और अन्य जरूरतों के लिए पूरी तरह से उन पर निर्भर हैं. नाई ने अपनी याचिका में कहा है कि रिहाई की अवधि के दौरान, मैंने किसी भी तरह के कानून का उल्लंघन नहीं किया और छूट के आदेश की शर्तों का अक्षरश: पालन किया है.
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वहीं रमेश रूपाभाई चांदना ने बेटे की शादी का हवाला देते हुए जबकि मितेश चिमनलाल भट्ट ने फसल के सीजन का हवाला देते हुए उन्हें आत्मसमर्पण करने के लिए 6 हफ्ते और दिए जाने की मांग की है.
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