रोहित कश्यप,मुंगेली। जिले के खुड़िया रेंज के जंगलों में दूसरे प्रदेश के लोगों को बसाने और संरक्षण देने का स्थानीय लोगों ने रेंज के वन विभाग के अफसरों पर गंभीर आरोप लगाया है. स्थानीय आदिवासी नेता और ग्रामीणों ने इसकी शिकायत कलेक्टर से करते हुए बाहरी लोगों को भगाने , संरक्षण देने वालों पर कार्रवाई की मांग की है. ग्रामीणों ने शिकायत में स्थानीय लोगों पर मारपीट और झूठे मामले में फंसाने का आरोप भी लगाया है.

ग्रामीणों ने कलेक्टर अजीत वसंत से शिकायत की है. उन्होंने कहा कि खुड़िया रेंज के वन विभाग की मौन स्वीकृति की वजह से मध्यप्रदेश के आदिवासी और गैर आदिवासी जंगलों में लगातार काबिज होकर खेती करने लगे हैं, जबकि स्थानीय लोग बसाहट और खेती करते हैं तो उन पर कार्रवाई की जा रही है. अगर कार्रवाई करनी है तो सभी के ऊपर हो. वहीं स्थानीय लोगों ने वन विभाग के स्थानीय अफसरों पर झूठे मामलों में कार्रवाई करने और जेल भेजने की भी बात कह रहे हैं.

पिछड़ा वर्ग को वन विभाग का पट्टा

शिकायत में आदिवासी ग्रामीणों ने कहा कि खुड़ियां रेंज में पिछड़ा वर्ग को वन विभाग के द्वारा वन भूमि का पट्टा दिया गया है, जो कि 75 वर्ष के प्रमाणित नहीं होता.ग्रामीणों ने वन विभाग के अफसरों पर पर फर्जी वन पट्टा वितरण करने का आरोप लगाते हुए जांच कर कार्रवाई की मांग की है.

मवेशी चराने के बहाने भी जंगलों में कब्ज़ा

स्थानीय लोगों ने शिकायत में यह भी कहा है कि खुड़िया रेंज के जंगलों में परंपरागत मवेशी चराने वाले लोग मवेशी चराने के बहाने जंगल जमीन पर मकान बनाकर रह रहे हैं. इसके अलावा ये लोग वहां खेती भी कर रहे हैं, जिसे वन विभाग द्वारा हटाया नहीं जा रहा है. इसकी शिकायत ग्रामीणों ने कलेक्टर से करते हुए कार्रवाई की मांग की है.

बाहरी व्यक्ति को भगाओ नहीं तो कब्जा करेंगे और छोड़ेंगे नहीं

कलेक्टर से शिकायत में शिक़ायत कर्ताओं ने कहा कि खुड़िया रेंज के सभी वन ग्रामों का जांच कर बाहरी व्यक्ति को वहां से भगाया जाए और स्थानीय लोगों को उनका अधिकार दिया जाए. ऐसा नहीं करने पर आदिवासियों ने जंगल जमीन में कब्जा करने की चेतावनी देते हुए कब्जा नही छोड़ने की बात कह रहे हैं.

मारपीट और झूठी कार्रवाई

शिकायतकर्ताओं ने खुड़िया रेंज के वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों पर स्थानीय लोगों पर कब्जा करने के नाम पर मारपीट और झूठी कार्रवाई करने का आरोप लगाया है. इसके अलावा गैर राज्य के लोगों को संरक्षित करने का बेहद गंभीर आरोप लगाया गया है.

इस मामले में क्षेत्र के वन विभाग के एसडीओ चूणामणि सिंह का कहना है कि खुड़िया परिक्षेत्र में रेंजर के द्वारा बाहरी लोगों को बसाने की बात लोगो द्वारा जो कही जा रही है, जो आरोप लगाया जा रहा है वह बेबुनियाद हैं. पूरी तरह से झूठ है.किसी भी अधिकारी या कर्मचारी का अतिक्रमणकारियों को कोई संरक्षण नहीं है. जंगल और जमीन पर अतिक्रमणीकारी बाहरी हो या स्थानीय सभी के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है..

कलेक्टर ने कहा जांच के बाद होगी कार्रवाई

कलेक्टर अजीत वसंत ने ग्रामीणों की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए न सिर्फ इसे संज्ञान में लिया है, बल्कि इस मामले की तत्परता से जांच कराकर तथ्य सही मिलने पर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने का भरोसा ग्रामीणों को दिया.

बहरहाल, एक तरफ जहां राज्य से लेकर केंद्र सरकार जंगल और जंगल में निवासरत आदिवासियों को रोजगार और सुरक्षित और संरक्षित करने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर कर रही हैं, तो वहीं दूसरी और मुंगेली जिले के खुड़िया रेंज से लेकर अचानकमार के जंगलों में दूसरे प्रदेश के लोगों को बसने की खबर बेहद चिंताजनक है, जिसे जिला प्रशासन और सरकार को गंभीरता से लेने की जरूरत है.