बीते बुधवार नौ जुलाई की भोर में दिल्ली के वसंत विहार इलाके में एक दिल दहला देने वाली घटना ने सबको झकझोर कर रख दिया. एक तेज रफ्तार ऑडी कार ने फुटपाथ पर सो रहे पांच लोगों को कुचल दिया, जिसमें दो दंपति और एक आठ साल की बच्ची शामिल थीं. इस हादसे का जिम्मेदार ड्राइवर उत्सव शेखर को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था, लेकिन हैरानी की बात यह है कि उसे तुरंत जमानत मिल गई. यह मामला न केवल सड़क सुरक्षा और शराब के नशे में वाहन चलाने की गंभीर समस्या को उजागर करता है, बल्कि भारतीय न्यायिक प्रणाली और मोटर व्हीकल एक्ट के प्रावधानों पर भी सवाल उठाता है.

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कैसे हुआ एक्सीडेंट ?

दिल्ली पुलिस के अनुसार नौ जुलाई को तड़के 1:45 बजे वसंत विहार के शिवा कैंप के पास इंडियन ऑयल पेट्रोल पंप के सामने एक पीसीआर कॉल प्राप्त हुई. कॉल में बताया गया कि एकसफेद ऑडी कार ने फुटपाथ पर सो रहे लोगों को कुचल दिया. पुलिस मौके पर पहुंची और घायलों को तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया. पीड़ितों की पहचान लधी (40), बिमला (8), सबामी (45), नारायणी (35) और रामचंदर (45) के रूप में हुई. प्रारंभिक जांच और चश्मदीदों के बयानों से पता चला कि ड्राइवर उत्सव शेखर नोएडा से द्वारका लौट रहा था और वह नशे में था. उसकी मेडिकल रिपोर्ट ने भी इस बात की पुष्टि की. हादसे के बाद उसने कुछ देर के लिए गाड़ी रोकी घायलों को देखा और फिर भागने की कोशिश की, लेकिन उसकी कार एक ट्रक से टकरा गई, जिसके बाद पुलिस ने उसे पकड़ लिया.

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कानूनी कार्रवाई और जमानत

दिल्ली पुलिस ने उत्सव शेखर के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 281 (लापरवाही से वाहन चलाना) और धारा 125(a) (जानबूझकर खतरनाक ढंग से वाहन चलाना) के साथ-साथ मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 185 (नशे में वाहन चलाना) के तहत मामला दर्ज किया. गाड़ी को जब्त कर फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया. हालांकि, चौंकाने वाली बात यह रही कि उत्सव शेखर को स्थानीय पुलिस स्टेशन से तुरंत जमानत मिल गई.

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जमानत पर सवाल

भारतीय न्यायिक प्रणाली में गैर-जमानती अपराधों को छोड़कर अधिकांश मामलों में जमानत का प्रावधान है. धारा 281 और 125(a) के तहत अपराध जमानती हैं और धारा 185 के तहत भी पहली बार के अपराध में जमानत मिलना असामान्य नहीं है. लेकिन इस मामले में जहां पांच लोग गंभीर रूप से घायल हुए और एक आठ साल की बच्ची भी पीड़ितों में शामिल थी, जमानत के त्वरित निर्णय पर सवाल उठने लगे.

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मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 185

मोटर व्हीकल एक्ट, 1988 की धारा 185 नशे में वाहन चलाने को गंभीर अपराध मानती है. इसके तहत अगर किसी व्यक्ति के रक्त में अल्कोहल की मात्रा 30 मिलीग्राम प्रति 100 मिलीलीटर से अधिक पाई जाती है या वह नशीले पदार्थों के प्रभाव में वाहन चलाता है, तो उसे सजा हो सकती है. पहली बार के अपराध में 6 महीने तक की कैद और या 10,000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है. दूसरी बार अपराध करने पर सजा को 2 साल तक की कैद और 15,000 रुपये तक के जुर्माने तक बढ़ाया जा सकता है. हालांकि, यह धारा जमानती अपराध के दायरे में आती है, जिसके कारण पुलिस या मजिस्ट्रेट को जमानत देने का अधिकार है.

इस मामले में उत्सव शेखर की मेडिकल रिपोर्ट ने पुष्टि की कि वह नशे में था, लेकिन चूंकि यह उसका पहला अपराध था, जमानत का निर्णय कानूनी रूप से संभव था. फिर भी यह सवाल उठता है कि क्या इस तरह के गंभीर हादसों में त्वरित जमानत देने की प्रक्रिया को और सख्त करने की जरूरत है.सामाजिक और कानूनी निहितार्थ यह घटना सड़क सुरक्षा, नशे में वाहन चलाने और सामाजिक-आर्थिक असमानताओं पर गंभीर सवाल उठाती है.

पीड़ित में ज्यादातर राजस्थान के प्रवासी मजदूर थे. वे फुटपाथ पर सोने को मजबूर थे. दूसरी ओर एक लग्जरी कार चालक द्वारा लापरवाही और नशे में वाहन चलाने ने इस त्रासदी को जन्म दिया. सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर गुस्सा साफ दिखाई दे रहा है. कुछ यूजर्स ने इसे घूसखोर जजों और सिस्टम की नाकामी से जोड़ा जो अपराधियों को आसानी से जमानत दे देता है.

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