रायपुर। जैन समाज के आराध्य संत आचार्य श्री महाश्रमण जी की अहिंसा यात्रा का सोमवार सुबह छत्तीसगढ़ की सीमा कोंटा में पर्दापण हुआ. आंध्रप्रदेश से होते हुए उनका काफिला छत्तीसगढ़ में प्रवेश किया. कोंटा में संत का भव्य स्वागत किया गया. इसके लिए व्यापक स्तर पर तैयारियां की गई थी. उनकी पदयात्रा का उद्देश्य अहिंसा परमो: धर्म: है, प्रति दिन वे 15 से 20 किमी तक पदयात्रा कर रहे हैं.

गौरतलब है कि आचार्य श्री महाश्रमण ने पहले राजधानी दिल्ली के लाल किले से अहिंसा यात्रा शुरू की थी. उनकी यह पदयात्रा राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय होकर संपूर्ण मानवता को अहिंसा से अभिप्रेरित करने वाली है.

यह पहला अवसर है. जब कोई जैन आचार्य पदयात्रा करते हुए अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र का स्पर्श कर रहे हैं. जैन संत आचार्य महाश्रमण जी देश के असम, बंगाल, बिहार, मध्यप्रदेश, ओडिशा व छत्तीसगढ़ राज्य सहित नेपाल में भी अहिंसा पदयात्रा निकाल रहे हैं. इन जगहों में अहिंसा यात्रा करना और उसमें अहिंसा पर विशेष जोर दिया जाना प्रासंगिग है, क्योंकि आज सारा संसार हिंसा के महा प्रलय से भयभीत और आतंकित है. जातीय उन्माद, सांप्रदायिक विव्देष और जीवन की प्राथमिक आवश्यकताओं का अभाव ऐसे कारण हैं जो हिंसा को बढ़ावा दे रहे हैं, और इन्हीं कारणों को नियंत्रित करने के लिए आचार्य महाश्रमण प्रयत्नशील हैं.

इस अहिंसा यात्रा में आचार्य श्री महाश्रमण के साथ करीब 100 से अधिक जैन संतों सेव श्रद्धालुओं का काफिला है. प्रति दिन 15 से 20 किमी तक पदयात्री करते हैं. उसके बाद पड़ाव स्थसल पर वे स्वयं भोजन आदि बनाकर ग्रहण करते हैं. जगह-जगह श्रद्धालुओं द्वारा पदयात्रा सहित रुकने की व्यवस्था करवाई जा रही है.

कोंटा में भव्य स्वागत

सोमवार सुबह जैन आचार्य का आगमन छत्तीसगढ़ के अंतिम छोर कोंटा में हुआ. यहां उनकी स्वागत भव्य तरीके से की गई. मंत्री कवासी लखमा, जिपं अध्यक्ष हरीश कवासी के सौजन्य से उनके स्वागत के लिए नगर में फ्लैक्स आदि भी लगाया गया था. वहीं आचार्य के स्वागत के लिए जगदलपुर विधायक एवं संसदीय सचिव रेखचंद जैन भी कोंटा में मौजूद रहे.

इन मार्गों से गुजरेगी पदयात्रा