अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला गुरू होता है. सनातन धर्म में गुरु-शिष्य परंपरा है. जो सदियों से चला आ रही है. आज भी बड़ी ही पवित्रता और आस्था के साथ इसका पालन होता है. इसलिए हमारे यहां गुरु-दीक्षा का विधान है. आचार्य पुण्डरीक गोस्वामी ने गुरू दीक्षा के विषय में आवश्यक जानकारी साझा की है. जिसे हम आपके साथ साझा कर रहे हैं.
आगामी 10 जुलाई को गोस्वामी जी अमृतसर में और 11 जुलाई को वृंदावन में वैजयंती धाम छटीकरा में गुरू दीक्षा देंगे. दीक्षा के लिए आपको कोई शुल्क या पंजीयन की जरूरत नहीं है. अधिक जानकारी के लिए आप 7696644494 पर संपर्क कर सकते हैं.
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गोस्वामी जी एक वीडियो साझा किया है. जिसमें वे कह रहे हैं कि जैसी दीक्षा होती है वैसा भाव उत्पन्न होता है. शुद्ध भाव के लिए शुद्ध और भक्तिमय भाव के साथ दीक्षा होती है. चैतन्य महाप्रभु की यह प्रेम परंपरा जिसको गौड़ीय संप्रदाय कहते हैं, जिन्होंने वृंदावन का प्रकाश किया, उसके आश्रित होने से ही राधारमण जी और वृंदावन की शुद्ध भक्ति प्राप्त होती है. इस गुरू पूर्णिमा के अवसर पर दीक्षा का आयोजन रखा गया है.
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