लखनऊ। श्रीराम मंदिर अयोध्या धाम के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास (Acharya Satyendra Das Died) का बुधवार को निधन हो गया। पीजीआई लखनऊ में सुबह सात बजे 80 वर्ष की आयु में उन्होंने अंतिम सांस ली। बीते कुछ दिनों से उनकी तबीयत ठीक नहीं चल रही थी। डॉक्टरों के मुताबिक उन्हें ब्रेन हेमरेज हुआ था। लिहाजा उन्हें अयोध्या में एक अस्पताल में भर्ती किया गया था लेकिन हालत बिगड़ते देख उन्हें वहां से पीजीआई लखनऊ रेफर कर दिया गया था। यहां उनका इलाज चल रहा था, बुधवार सुबह उनका निधन हो गया।

पीएम मोदी ने जताया दुख

पीएम मोदी ने आचार्य सत्येन्द्र दास के निधन ( Acharya Satyendra Das Died ) पर गहरा दुख जताया। प्रधानमंत्री ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा कि राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी महंत सत्येंद्र दास के देहावसान से अत्यंत दुख हुआ है। धार्मिक अनुष्ठानों और शास्त्रों के ज्ञाता रहे महंत का पूरा जीवन भगवान श्री राम की सेवा में समर्पित रहा। देश के आध्यात्मिक और सामाजिक जीवन में उनके अमूल्य योगदान को हमेशा श्रद्धापूर्वक स्मरण किया जाएगा। ईश्वर से प्रार्थना है कि शोक की इस घड़ी में उनके परिजनों एवं अनुयायियों को संबल प्रदान करे। ओम शांति!

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सीएम योगी ने अर्पित की श्रद्धांजलि

सीएम योगी ने भी राम मंदिर के मुख्य पुजारी ( Acharya Satyendra Das ) को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि परम रामभक्त, श्री राम जन्मभूमि मंदिर, श्री अयोध्या धाम के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र कुमार दास जी महाराज का निधन अत्यंत दुःखद एवं आध्यात्मिक जगत की अपूरणीय क्षति है। विनम्र श्रद्धांजलि! प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दे तथा शोक संतप्त शिष्यों एवं अनुयायियों को यह अथाह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें। ॐ शांति!

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बता दें कि सत्येंद्र दास को 6 दिसंबर सन 1992 को राम मंदिर का अस्थायी पुजारी बनाया गया था। इस दौरान सत्येंद्र दास की उम्र केवल 20 वर्ष थी। उन्होंने सांसारिक मोह माया का त्याग कर आजीवन रामलला का सेवा करने का संकल्प लिया था। आचार्य सत्येंद्र दास का जन्म 20 मई, 1945 को यूपी के संतकबीरनगर जिले में हुआ था। बचपन से ही सत्येंद्र दास को अध्यात्म और रामलला से लगाव था। उम्र बढ़ने के साथ-साथ रामलला के प्रति उनकी श्रद्धा बढ़ती चली गई। सत्येंद्र दास अक्सर अपने पिता के साथ रामनगरी अयोध्या आते थे। इस दौरान उनकी मुलाकात अभिरामदास से हुई है। आगे चलकर अभिराम दास दास ने रामलला की लंबी लाइन लड़ी।