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Acharya Satyendra Das Jal Samadhi. अयोध्या श्रीराम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास को गुरुवार को सरयू नदी में जल समाधि दे दी गई. उनके अंतिम दर्शन के लिए सरयू घाट के किनारे हजारों लोग कई घंटे तक खड़े रहे. केंद्रीय मंत्री सतीश शर्मा और अयोध्या सांसद अवधेश प्रसाद ने भी आचार्य सत्येंद्र दास को श्रद्धांजलि दी.
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उनकी अंतिम यात्रा दोपहर 12 बजे शुरु हुई. जिसे नगर के प्रमुख जगहों पर घुमाया गया. हालांकि भीड़ के चलते यात्रा को राम मंदिर के सामने से नहीं ले जाया गया. आचार्य सत्येंद्र दास का पार्थिव शरीर लता मंगेशकर चौक होते हुए सरयू घाट तक ले जाया गया. जिसके बाद सरयू नदी में उन्हें जल समाधी दी गई. उनके अंतिम दर्शन के लिए सरयू घाट पर लोग खड़े रहे. यात्रा में जगतगुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य, निर्वाणी अनि अखाड़ा के पूर्व श्री महंत धर्मदास, विधायक वेद गुप्ता, महापौर गिरीश पति त्रिपाठी, वशिष्ठ भवन के महंत राघवेश दास समेत आम लोग भी शामिल थे.
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जल समाधि क्यों?
अमूमन देखा जाता है कि सनातन धर्म में जब किसी की मृत्यु हो जाती है तो प्राय: उसका दाह संस्कार किया जाता है. लेकिन मान्यताओं के अनुसार सनातन परंपरा में साधु-सन्यासियों को जल या भू-समाधि देने की परंपरा है. दाह संस्कार का नियम गृहस्थ लोगों के लिए है. जबकि साधु-सन्यासियों को जल या भू-समाधि दी जाती है. संतों को समाधि देने की परंपरा भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म में प्राचीन काल से चली आ रही है. यह एक विशेष प्रकार की समाधि होती है, जिसमें संतों के पार्थिव शरीर को जल में प्रवाहित किया जाता है या फिर भू-समाधि दी जाती है. इसके पीछे धार्मिक, आध्यात्मिक और व्यवहारिक कारण होते हैं.
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बुधवार सुबह हुआ निधन
बता दें कि पीजीआई लखनऊ में बुधवार सुबह सात बजे 80 वर्ष की आयु में आचार्य सत्येन्द्र दास का निधन हो गया. बीते कुछ दिनों से उनकी तबीयत ठीक नहीं चल रही थी. डॉक्टरों के मुताबिक उन्हें ब्रेन हेमरेज हुआ था. लिहाजा उन्हें अयोध्या में एक अस्पताल में भर्ती किया गया था. लेकिन हालत बिगड़ते देख उन्हें वहां से पीजीआई लखनऊ रेफर कर दिया गया था. यहां उनका इलाज चल रहा था. बुधवार सुबह उनका निधन हो गया.
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