लखनऊ. सरकारी कर्मचारी अक्सर अपनी हरकतों के लिए न सिर्फ अपने विभाग के लिए मुश्किल खड़ी कर देते हैं बल्कि वे हंसी का पात्र भी बन जाते हैं. ऐसी ही हरकत उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद नगर निगम के कर्मचारियों ने कर डाली.

दरअसल इलाहाबाद नगर निगम के कर्मचारियों ने अपने समय की बेहद मशहूर लेखिका और कवियित्री महादेवी वर्मा को उनके निधन के तीस साल बाद हाउस टैक्स का नोटिस भेजा है. खास बात ये है कि महादेवी वर्मा का निधन 1987 में हो चुका है. फिर भी नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों को ये तक नहीं पता चला कि वे अब इस दुनिया में नहीं हैं.

कारनामेबाज सरकारी कर्मचारियों ने बकायदा हाउस टैक्स के रुप में 48 हजार रुपये की नोटिस महादेवी वर्मा के नाम से उनके घर पर भेजी. इनकी हरकत से जहां लोग जमकर इलाहाबाद नगर निगम के कर्मचारियों औऱ अधिकारियों की फजीहत कर रहे हैं वहीं इस सबसे बेखबर निगम के कर्मचारी अपने इस फैसले को सही ठहराने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं.

गौरतलब है कि इलाहाबाद के अशोक नगर मोहल्ले में महादेवी वर्मा का आवास है. इसमें अब उनके रिश्तेदार रहते हैं. इस मामले में इलाहाबाद नगर निगम के आयुक्त हरिकेश चौरसिया कहते हैं कि ये नोटिस गलती से जारी हो गया है. चूंकि हाउस टैक्स जमा करने का अभियान चल रहा है ऐसे में नगर निगम ने जल्दबाजी में कवियित्री महादेवी वर्मा के नाम भी हाउस टैक्स की नोटिस जारी कर दी.

वैसे अब भले ही नगर निगम अपनी भूल को दुरुस्त करने की बात कह रहा हो लेकिन उनके इस कारनामे की हर तरफ आलोचना हो रही है. ये सरकारी कार्यप्रणाली का नायाब नमूना है कि किस तरह सरकारी अधिकारी और कर्मचारी 30 साल पहले दिवंगत हुए एक इंसान के नाम पर भी टैक्स वसूली कर सकते हैं.