कुमार इंदर, जबलपुर। एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को एक दिन की छुट्टी लेना इतना महंगा पड़ गया कि विभाग ने उसके खिलाफ बर्खास्त की कार्रवाई कर दी। मामला जब कोर्ट में पहुंचा तो हाईकोर्ट जज भी हक्का-बक्का रह गए। लिहाजा हाईकोर्ट जस्टिस सुजय पॉल ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि यह सजा एक “मक्खी पर हथौड़े मारने ” जैसा है।
महज एक दिन की गैर हाजिरी पर नौकरी से बर्खास्तगी की सजा दिए जाने के रवैये पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हैरानी जताई है। इस मामले की सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जस्टिस सुजय पॉल ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा है कि एक दिन की अनुपस्थिति पर सेवा से बर्खास्तगी जैसी सजा देना “मक्खी को हथौडे से मारने” जैसा है। हाईकोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिए है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को 60 दिन के अंदर नौकरी बहाल करे साथ ही सभी लाभ दिए जाने के भी निर्देश दिए हैं।
खंडवा की रहने वाली महिला
मामला खंडवा जिले का है जहां की निवासी और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ममता तिरोले ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया था कि, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने 27 दिसंबर, 2019 को एक दिन ड्यूटी नहीं जा पाई थी। इसके बाद परियोजना अधिकारी ने 10 जनवरी 2020 को उसे 8 दिन की वेतन की कटौती का आदेश जारी कर दिया। इसके बाद कलेक्टर के निर्देश पर 27 जनवरी 2020 को परियोजना अधिकारी ने अपने पूर्व आदेश को वापस लेते हुए महिला को सेवा से ही बर्खास्त कर दिया। जबकि महिला का कहना कि, 6 जनवरी 2020 को उसे एक शोकाज नोटिस आया था। इस नोटिस के जवाब में याचिकाकर्ता महिला ममता ने विभाग को बताया कि महिलाओं को होने वाली समस्या के चलते वे 27 दिसंबर 2019 को कार्य पर अनुपस्थित नहीं हो पाई थी इसके बाद भी उस पर कार्रवाई कर दी गई।
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