दिल्ली. मद्रास उच्च न्यायालय को सूचित किया गया है कि 7,324 अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू कर दी है। ये आवश्यक समय सीमा के अंदर अंतिम रिपोर्ट दाखिल करने में नाकाम रहे और जिसकी वजह से 2.14 लाख से ज्यादा प्राथमिकियों पर कार्रवाई बंद करनी पड़ी।

न्यायमूर्ति मुरलीधरण के अंतरिम आदेश पर पुलिस महानिदेशक कार्यालय ने जवाबी हलफनामा अदालत में दाखिल किया है। न्यायमूर्ति मुरलीधरण ने अपने आदेश में कहा था कि मजिस्ट्रेट कोर्ट में बंद किए जाने वाले मामलों का सही तरीके से रिकॉर्ड में नहीं रखा जा रहा है और इसलिए उन्होंने पुलिस महानिदेशक कार्यालय से जवाब मांगा था।

जवाबी हलफनामे के अनुसार, 2010 से 2018 के बीच ऐसे 1,72,602 मामलों को निचली अदालत ने बंद कर दिया। इसमें यह भी दावा किया गया कि पुलिस के आरोपपत्र दाखिल नहीं करने के कारण इन प्राथमिकियों पर कार्रवाई बंद कर दी गई। अदालत को यह भी बताया गया कि 2009 से 2014 के बीच कुल 2,14,901 प्राथमिकियों को मजिस्ट्रेट कोर्ट ने बंद कर दिया।

पुलिस महानिदेशक कार्यालय ने यह भी बताया कि उन 7,324 जांच अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जा रही है। ये समय सीमा के अंदर अंतिम रिपोर्ट दायर करने में नाकाम रहे जिसकी वजह से निचली अदालतों ने प्राथमिकी पर कार्रवाई बंद कर दी।