पुरुषोत्तम पत्र, गरियाबंद। सुपेबेड़ा में किडनी रोग के नए सिरे से जांच शुरू हो गई है.डॉ आशीष सिन्हा के नेतृत्व में 5 चिकित्सकों का दल सुपेबेड़ा पहुंचा. जांच दल ने रिमूवल प्लांट के पानी का सेम्पल और खाद्य सामग्रियों का भी सेंपल लिया. सुपेबेड़ा के पानी मे कैडमियम व क्रोमियम जैसे हैवी मेटल होने का खुलासा करने वाले डॉ आशीष सिन्हा सुपेबेड़ा पहुंचे. उनके साथ डॉ चंद्रकांत दीवान, नेफ्रोलॉजिस्ट मनीष पटेल समेत 5 डॉक्टरों की टीम भी पहुंची थी. डॉक्टरों की टीम यंहा पर पीएचई के द्वारा लगाए गए आर्सनिक व फ्लोराइड रिमूवल प्लांट से पानी का सेम्पल के अलावा दैनिक उपयोग में लाने वाले अधिकतर सामग्री का सेम्पल ले गए है. जिसमें सब्जी भाजी से लेकर दाल-दलहन और बीड़ी-तम्बाखू का भी सेम्पल लिया गया.

 

आशिष सिन्हा ने कहा कि सरकार यंहा के लिये और बेहतर क्या कर सकेगी इस पर रिपोर्ट बनाने कहा गया है. पिछले डेढ़ साल से हम यंहा के लिये काम कर रहे हैं. पहले की रिपोर्ट के मुताबिक यंहा के बेहतरी के लिये काम किया गया है, जिससे यह बीमारी काफी हद तक नियंत्रण में है. पूर्व में जो चीजें छूट गई थी उन्हीं तथ्यों को जुटाने नए सिरे से सेम्पल एकत्र कर रिपोर्ट सरकार को सौपेंगे. उन्होंने कहा बेस लाइन की जांच होगी. अब तक जितने भी ब्लड नमूने लिए गए उनमें से ज्यादातर में क्रिएटिनिन लेबल 2 से ऊपर पाया गया है.

चिकित्सकों के दल ने बेस लाइन जानने के लिये सभी के ब्लड सेम्पल की जांच करने की सलाह दिया है. बीमार-पीड़ितों की हिस्ट्री लेते लेते हुए जब आशीष सिन्हा किडनी मरीज 62 वर्षीय पूरनधर पुरैना के पास पहुंचे तो पीड़ित ने डॉक्टर के सामने चौकाने वाला खुलासा किया. पुरैना ने बताया कि जब तक गांव वाले नदी व कुएं का पानी पी रहे थे तब तक किसी को कोई बीमारी नहीं थी. लेकिन सरकारी हैंडपम्प से पानी पीना शुरु किया उसके बाद से ही यहां किडनी की बीमारी फैली.