रायपुर. भाजपा विधायक भीमा मंडावी के साथ 4 जवानों की हत्या की जिम्मेदारी लेते हुए नक्सलियों ने इसके पीछे बैलाडीला के खदान को अडाणी ग्रुप को देने से उपजी नाराजगी को वजह बताया था. इस पर अडाणी समूह ने स्पष्ट किया कि बैलाडीला परियोजना का खनन लीज सरकारी स्वामित्व वाली संयुक्त उपक्रम एनएमडीसी-सीएमडीसी लिमिटेड (एनसीएल) के पास है, और अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (एईएल) केवल एक खनन कॉन्ट्रैक्टर के रूप में सहयोग प्रदान कर रहा है.

अदाणी एंडरप्राइजेज लिमिटेड की ओर से जारी बयान में बताया गया कि दक्षिण बस्तर में स्थित बैलाडीला लौह अयस्क भंडार भारत सरकार के स्वामित्व में है. खनन गतिविधियों की शुरुआत के लिए केंद्रीय सरकार का उपक्रम एनएमडीसी लिमिटेड और राज्य सरकार का उपक्रम छत्तीसगढ़ खनिज विकास निगम लिमिटेड (सीएमडीसी) ने वर्ष 2008 में एक संयुक्त उपक्रम एनएमडीसी-सीएमडीसी लिमिटेड (एनसीएल) का गठन किया था.

एनएमडीसी ने 2010 से 2014 के बीच ग्राम सभाओं के आयोजन करने के बाद 2015 में पर्यावरण संबंधी मंजूरी और जनवरी 2017 में वन मंजूरी हासिल की. 2017 में खनन लीज एनसीएल को हस्तांतरित कर दी गई. बैलाडीला लौह अयस्क भंडार क्रमांक 13 के विकास और परिचालन के लिए जनवरी 2018 में अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी बोली में कम से कम दस कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई. जिसमें पारदर्शी रिवर्स बिडिंग प्रक्रिया के माध्यम से अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (एईएल) को सफल बोलीदाता के रूप में चुना गया था.

एईएल ने स्पष्ट किया कि बैलाडीला खदान का स्वामी केंद्र और राज्य के स्वामित्व वाला एनसीएल है, और एईएल केवल एक अनुभवी और जिम्मेदार खनन कॉन्ट्रैक्टर के रूप में सहयोग प्रदान कर रहा है.

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