Adani Hindenburg News. इस साल की शुरुआत में हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद अडानी समूह को भारी नुकसान हुआ है. एक तरफ अडानी ग्रुप के शेयरों की कीमतें तेजी से गिरीं, जिससे कंपनियों की वैल्यू घट गई, वहीं दूसरी तरफ ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी की संपत्ति में भारी गिरावट आई. हालांकि इस पूरे घटनाक्रम में कुछ लोगों को काफी फायदा भी हुआ. यह बात सुप्रीम कोर्ट की एक कमेटी की अगुवाई में चल रही जांच के दौरान सामने आई है.

कमेटी को मिले सबूत

बाजार नियामक सेबी फिलहाल हिंडनबर्ग द्वारा अडानी समूह पर लगाए गए आरोपों की जांच कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट की एक विशेषज्ञ समिति द्वारा जांच की निगरानी की जा रही है. कमेटी ने कहा है कि अडानी ग्रुप के शेयरों की कीमत में हेराफेरी के कोई सबूत नहीं मिले हैं. कमेटी ने कहा है कि अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट से पहले अडानी ग्रुप के शेयरों में ‘शॉर्ट पोजीशन’ बनाने के सबूत मिले हैं.

6 शयरों को छोटा किया गया

पैनल ने कहा है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अडानी समूह पर हेराफेरी और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाने के बाद इन शेयरों की कीमतों में भारी गिरावट आई है. इसके कारण पोजीशन शॉर्टर्स ने इन शेयर सौदों में मुनाफा कमाया. पैनल के मुताबिक, कुल 6 निकायों ने अडानी ग्रुप के शेयरों की शॉर्टिंग की थी.

4 एफपीआई भी शामिल

सुप्रीम कोर्ट पैनल की रिपोर्ट के अनुसार, 4 एफपीआई अडानी समूह के शेयरों को कम करने वाली संस्थाओं में से हैं. हालांकि, ये 4 एफपीआई उन 12 एफपीआई में से नहीं हैं, जिनकी मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग संदेह के घेरे में है. इनके अलावा एक निकाय कॉरपोरेट और एक व्यक्ति ने अडानी समूह के शेयरों को शॉर्ट किया, जिससे हिंडनबर्ग रिपोर्ट से भारी मुनाफा कमाया.

कमेटी की निगरानी में जांच

आपको बता दें कि बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड यानी सेबी (SEBI) पहले से ही अडानी समूह पर लगे आरोपों की जांच कर रहा था. हिंडनबर्ग रिपोर्ट में गंभीर आरोप लगाए जाने के बाद शीर्ष अदालत ने विशेषज्ञ समिति नियुक्त की थी। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस एएम सप्रे को इस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है, जबकि ओपी भट्ट, केवी कामत, नंदन नीलेकणि और सोमशेखर सुंदरेसन इसके सदस्य हैं.

कोर्ट ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को किया खारिज

हिंडनबर्ग के आरोप सामने आने के बाद अदानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट आई थी. हालांकि अडानी समूह ने इन आरोपों को निराधार बताते हुए हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को खारिज कर दिया. इसके बाद भी अडानी समूह को लगभग एक महीने तक लगातार भारी बिकवाली और गिरावट का सामना करना पड़ा. फिलहाल अभी इस मामले में आगे की जांच जारी है.