रायपुर. केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ सरकार से राजीव गांधी किसान न्याय योजना के बारे में योजना को लेकर रिपोर्ट मांगी है. योजना के बारे में रिपोर्ट मांगे जाने को राज्य सरकार एक उपलब्धि मान रही है और कह रही है कि केंद्र सरकार इसका अनुशरण करना चाहती है. गौरतलब है कि ये रिपोर्ट उस वक्त मांगी गई है जिस वक्त कोरोना के संकटकाल में गरीबों को सीधे पैसे देने की मांग ज़ोर-शोर से की जा रही है.
कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा है कि बीजेपी के जनता से किए वायदे धोखे साबित हुए. अपने शासनकाल में इक्कीस सौ रूपए धान का समर्थन मूल्य देने की घोषणा तब की बीजेपी सरकार ने की थी. लेकिन दिए नहीं. कांग्रेस सरकार ने 2500 रुपये देने का वादा किया था. ये वादा उसने अपने दूसरे साल भी निभाया. चौबे का कहना है कि राजीव किसान न्याय योजना पर केंद्र ने रिपोर्ट इसके डायरेक्ट बेनिफिट स्कीम होने की वजह से मांगी है. उन्होंने उम्मीद ज़ाहिर की है कि केंद्र योजना से सबक लेगी और इसका अनुसरण करेगी.
लेकिन बीजेपी चौबे की राय से इत्तेफाक नहीं रखती. पूर्व कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा है कि ये केंद्र सरकार का बड़प्पन है कि वो राज्य सरकार से जानकारी ले रही है. उन्होंने कहा कि राज्य से प्रस्ताव मंगाने का मतलब ये कतई नहीं है कि नहीं है कि केंद्र इसे लागू करने जा रही है. उन्होंने राज्य सरकार को इससे ज़्यादा खुश न होने की नसीहत भी दी है.

राजीव गांधी किसान न्याय योजना है क्या ?

राजीव गांधी की पुण्यतिथि के मौके पर छत्तीसगढ़ सरकार ने इस स्कीम को लांच किया था.स्कीम के तहत छत्तीसगढ़ में धान, गन्ना और मक्का उत्पादक किसानों को 4 किस्तों में प्रति एकड़ 10 हजार रूपए की राशि दी जाएगी. जिसकी पहली किस्त दी जा चुकी है. राज्य सरकार ने घोषणा पत्र में किसानों से वादा किया था कि, प्रति क्विंटल धान उत्पादक किसानों को 25 सौ रूपए दिए जाएंगे। लेकिन केंद्र सरकार की रोक की वजह से दूसरे साल वो ऐसा नहीं कर पाई तो उसने ये तरीका अख्तियार किया है.