हेमंत शर्मा, देवास। जिले से एक ऐसी कहानी सामने आई है जो सत्ता के घमंड, अफसरशाही की बर्बरता और एक विधवा महिला की मजबूरी की चीख बन चुकी है। पवित्रा बाई सिसोदिया- एक आदिवासी विधवा महिला, जिसने अपने पति के गुजर जाने के बाद दो बेटों के साथ खेतों में पसीना बहाकर परिवार चलाया। लेकिन जिस मिट्टी से उनके बच्चों का पेट पलता था, उसी मिट्टी को प्रशासनिक ताकत और फर्जी दस्तावेज़ों की साजिश ने उनसे छीन लिया।
32 बीघा जमीन पत्नी के नाम पर दर्ज करवा ली
यह आरोप है उसे विधवा पवित्रा बाई का कि देवास के वर्तमान अपर कलेक्टर शोभाराम सिंह सोलंकी ने जब वर्ष 2023 में बागली के SDM पद पर तैनात थे, तब उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए पवित्रा बाई और उनके बेटों मनीष व रोहित सिसोदिया की 32 बीघा जमीन अपनी पत्नी कमलाबाई सोलंकी के नाम पर दर्ज करवा ली। जमीन की रजिस्ट्री होने के बाद से ही लगातार पवित्राबाई पुलिस थाने और कलेक्टर ऑफिस के चक्कर लगा रही है लेकिन वर्तमान कलेक्टर को इसकी जानकारी तक नहीं वह इस मामले को 3 साल बाद का बता रहे हैं की रजिस्ट्री होने के 3 साल बाद कोई भी खड़ा हो जाए तो उसमें क्या कर सकते हैं पर पवित्राबाई ने 2023 में ही इसकी पहली शिकायत कर दी थी ऐसा पवित्राबाई का कहना है
पवित्रा बाई का दर्द भरा बयान
«“हमारे नाम की रजिस्ट्री किसी और के नाम से कर दी, फोटो भी किसी दूसरी औरत की लगा दी। हमने खेती करने की कोशिश की तो हमें ही रोक दिया गया। अब हमारा सहारा सिर्फ मुख्यमंत्री मोहन यादव हैं, क्योंकि सिस्टम ने तो हमें रौंद दिया।”»
रजिस्ट्री में जालसाजी का खुलासा
lalluram.com की पड़ताल में सामने आया कि रजिस्ट्री में लगी फोटो पवित्रा बाई की नहीं, बल्कि किसी दूसरी महिला की है।यानि, किसी और को “पवित्रा बाई” बताकर पूरी प्रक्रिया पूरी कर दी गई। इससे बड़ा फर्जीवाड़ा और क्या हो सकता है?सूत्रों के मुताबिक, तहसीलदार और रजिस्ट्रार की मिलीभगत से यह जमीन कमलाबाई सोलंकी के नाम ट्रांसफर कर दी गई। पवित्रा बाई को इस बात की खबर तब लगी जब वे अपनी जमीन पर पहुंचीं और उन्हें खेती करने से रोक दिया गया।
न्याय की जगह धमकियां मिलीं
जब परिवार ने जमीन वापस देने की मांग की, तो सोलंकी ने उन्हें धमकाया -“चुप रहो, वरना अंजाम अच्छा नहीं होगा।”
इसके बाद पवित्रा बाई और उनके बेटे हाटपीपल्या थाने पहुंचे और औपचारिक शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने 181 सीएम हेल्पलाइन और जनसुनवाई में भी आवेदन दिए, मगर आज तक न FIR दर्ज हुई, न किसी अधिकारी ने कदम उठाया। और ना ही कोई विभागीय जांच हुई
कलेक्टर का चौंकाने वाला बयान
जब lalluram.com ने इस पूरे मामले पर देवास कलेक्टर ऋतुराज से बात की, तो उनका बयान और भी दर्दनाक था। उन्होंने कहा —“यह तीन साल पुराना मामला है। अब जाकर कोई खड़ा हो जाए तो कोई क्या करेगा? यह सिविल मामला है, हमारे यहां कोई जांच नहीं चल रही।”यानि साफ शब्दों में कलेक्टर ने पीड़ित विधवा महिला की उम्मीदों पर पानी फेर दिया और आरोपित अधिकारी का परोक्ष रूप से बचाव किया।
मुख्यमंत्री से आखिरी गुहार
पवित्रा बाई और उनके बेटे मनीष व रोहित अब मुख्यमंत्री मोहन यादव से मिलने की कोशिश कर रहे हैं। उनका कहना है- “अगर मुख्यमंत्री ने भी मदद नहीं की, तो हम न्याय की उम्मीद हमेशा के लिए खो देंगे।”यह सिर्फ जमीन हड़पने की कहानी नहीं, बल्कि उस सिस्टम की शर्मनाक मिसाल है जिसमें अफसर खुद कानून बन बैठे हैं और गरीब की पुकार को “तीन साल पुराना मामला” कहकर टाल दिया जाता है। अगर मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस पर सख्त कार्रवाई नहीं की, तो यह साफ संदेश जाएगा -“मध्यप्रदेश में अब न्याय नहीं, सिर्फ कुर्सी का रौब चलता है।”
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