रायपुर। एडीजी पवन देव पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली बिलासपुर की महिला आरक्षक ने रायपुर पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखा है और छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के निर्देशानुसार मामले में अब तक की गई कार्रवाई से अवगत कराने को कहा है.

पीड़िता महिला कॉन्स्टेबल ने लिखा है कि उन्होंने बिलासपुर के तत्कालीन आईजी पवन देव के खिलाफ लैंगिक उत्पीड़न की शिकायत की थी. जिस पर शासन स्तर पर आईएएस रेणु पिल्लै की अध्यक्षता में 4 सदस्यों की आंतरिक शिकायत समिति का गठन कर जांच किया गया था. जांच में पवन देव को दोषी पाया गया था. समिति ने अपनी रिपोर्ट 2 दिसंबर 2016 को ही डीजीपी को सौंप दी थी, जिसकी प्रति पीड़िता को भी मिली थी. पीड़िता का कहना है कि उन्होंने 5 आवेदन पत्र अब तक दे चुकी हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई है.

पीड़िता महिला कॉन्स्टेबल ने ये भी लिखा है कि उन्होंने अपने वकील के जरिए हाईकोर्ट में रिट याचिका भी दायर की थी, जिस पर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की डबल बेंच ने 27 फरवरी 2018 को अपने आदेश में केंद्रीय गृह सचिव, डीजीपी और राज्य गृह सचिव को 45 दिनों में प्रवधानित एक्ट के मुताबिक निर्णय या कार्रवाई करने का आदेश पारित किया था, जिसकी अवधि भी खत्म हो चुकी है.

अब पीड़िता ने रायपुर पुलिस महानिदेशक से पूछा है कि उन्हें इस बात की जानकारी दी जाए कि उच्च न्यायालय के आदेशानुसार अब तक उनके द्वारा क्या-क्या कार्रवाई की गई है, ताकि वे आगे की कार्रवाई कर सकें.

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ये है मामला

30 जून 2016 को मुंगेली जिले की एक महिला कॉन्स्टेबल ने बिलासपुर के तत्कालीन आईजी पवन देव पर फ़ोन पर अश्लील बात करने और दबाव पूर्वक अपने बंगले बुलाने का आरोप लगा कर शिकायत की थी. इसके बाद राज्य सरकार ने IAS रेणु पिल्लै की अध्यक्षता में 4 सदस्यीय आंतरिक शिकायत समिति गठित की थी. 4 जुलाई 2016 को समिति ने जांच कर अपनी रिपोर्ट 2 दिसम्बर 2016 को डीजीपी को सौंप दी. समिति ने जांच में मुंगेली की महिला कॉन्स्टेबल द्वारा बिलासपुर के तत्कालीन आईजी पवन देव पर लगाए गए लैंगिक उत्पीड़न के आरोप को सही पाया था. महिला कॉन्स्टेबल द्वारा जांच रिपोर्ट के आधार पर पवन देव पर कानूनी कार्रवाई की मांग की गई थी और इसके लिए डीजीपी को ज्ञापन भेजा गया था. साथ ही ये हाई प्रोफ़ाइल मामला प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, राष्ट्रीय महिला आयोग तक भी पहुंचा था.

बाद में पवन देव को बिलासपुर आईजी से हटाकर पुलिस मुख्यालय अटैच कर दिया गया था. फिर इन आरोपों के बीच और जांच में दोषी पाए जाने के बाद भी पवन देव को एडीजी के पद पर पदोन्नति दे दी गई.

लेकिन डेढ़ साल से किसी भी तरह से कोई कार्रवाई नहीं होने के बाद पीड़ित महिला सिपाही ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के जरिए गृह विभाग से कार्रवाई के संबंध में जानकारी मांगी. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 45 दिनों में गृह विभाग से इस पर जवाब मांगा था. विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक, 45 दिन बीतने के बाद भी अब तक डीजीपी की ओर से गृह विभाग कोई अभिमत नहीं मिला है. इसी को लेकर कड़ी चिट्ठी एसीएस सुब्रम्हण्यम ने डीजीपी उपाध्याय को लिखी. फिर फोन पर भी दोनों अधिकारियों के बीच गरमा-गरम बहस हुई. बताया यह भी जा रहा है कि एडीजी पवन देव डीजीपी का बेहद करीबी है इसलिए किसी तरह की कोई कार्रवाई उनके के खिलाफ उन्होंने होने नहीं दी है.