रायपुर। सर्व विभागीय संविदा कर्मचारी महासंघ ने नियमितीकरण सहित अपनी अन्य मांगों को लेकर 3 मई को एक दिवसीय राज्य स्तरीय हड़ताल का आयोजन किया है. महासंघ के प्रांतीय अध्यक्ष कौशलेश तिवारी ने बताया कि कांग्रेस सरकार बने 4 साल पूरे होने को है, किंतु अब तक संविदा कर्मचारियों को नियमित करने के वादे पर सरकार खरी नहीं उतरी है. सरकार केवल समितियों का गठन कर संविदा कर्मचारियों को ठगने का कार्य कर रही है. स्थिति को लेकर गहन असंतोष की वजह से संविदा कर्मचारी बार-बार आंदोलन पर मजबूर हो रहे हैं.
महासंघ के उपाध्यक्ष हेमंत सिन्हा का कहना है कि मनरेगा के कर्मचारियों की मांगों के परीक्षण के लिए सरकार द्वारा प्रसन्ना कमेटी का गठन भी एक छलावा ही है, क्योंकि इसके पूर्व संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण के लिए नीति-निर्देश तैयार करने हेतु, सरकार गठन के तत्काल बाद पिंगुआ समिति बनाई गई, लेकिन नतीजा शून्य रहा. फिर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कर्मचारियों की मांगों के परीक्षण के लिए भी एक समिति का गठन किया गया, लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात. आज पर्यंत उक्त दोनों ही समितियों ने कार्यवाही प्रतिवेदन सरकार को नहीं सौंपा ना ही उनकी रिपोर्ट सार्वजनिक हुई. इसलिए एक और नई समिति के गठन का औचित्य समझ से परे है, तथा संविदा कर्मचारियों के समक्ष सरकार ने अपनी विश्वसनीयता खो दी है.
महासंघ के सचिव श्रीकांत लाश्कर ने रोष व्यक्त किया कि हम संविदा कर्मचारी भी इसी व्यवस्था का हिस्सा हैं, और हमारे ही कंधों पर इस सरकार ने कोविड-19 जैसा महासमर पार किया है. कोविड-19 से बहुत से संविदा कर्मचारी भी काल कवलित हुए, आज उनके बच्चे दाने-दाने को मोहताज हैं क्योंकि हम संविदा कर्मचारियों को ना तो चिकित्सा परिचर्या का लाभ मिलता है, ना कर्मचारी जीवन बीमा, ना ही अनुकंपा नियुक्ति का प्रावधान हमारे लिए है. कांग्रेस शासन काल के विगत 4 वर्षों में संविदा कर्मचारियों को एक भी वेतन वृद्धि नहीं प्राप्त हुई है, जबकि भाजपा शासनकाल में हर 2 वर्ष में एक बार, कम से कम 10% की वृद्धि होती रही है.
महासंघ के अध्यक्ष कौशलेश तिवारी ने कहा कि हम सरकार को चेतावनी के रूप में सिर्फ 1 दिन की हड़ताल पर जा रहे हैं, लेकिन नक्कारखाने में हमारी इस एक दिनी तूती की आवाज भी किसी ने ना सुनी तो मजबूरन हमें अनिश्चितकालीन हड़ताल की रणभेरी बजाना पड़ेगा. सरकार को आने वाले दिनों में एक गंभीर और लंबे संघर्ष को देखने के लिए खुद को तैयार कर लेना चाहिए, क्योंकि हमारी तैयारी युद्ध स्तर पर जारी है और हर संविदा कर्मचारी सरकार को उसका वादा याद दिलाने और निभाने पर मजबूर करने के लिए कटिबद्ध है.
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