Adinath Moksha Kalyanak Day: भगवान आदिनाथ, जिन्हें ऋषभदेव के नाम से भी जाना जाता है, जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर हैं और जैन धर्म में उनका विशेष स्थान है. उनका मोक्ष कल्याणक दिवस, माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है, जो उनके निर्वाण या मोक्ष प्राप्ति की स्मृति में समर्पित है.

यह दिन जैन अनुयायियों के लिए पवित्र और श्रद्धा से भरा होता है. यह दिन भगवान आदिनाथ के जीवन और उनकी शिक्षाओं का अनुसरण करने का अवसर प्रदान करता है. उनका जीवन त्याग, तप और ज्ञान का प्रतीक है, जो हर अनुयायी को सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है.

भगवान आदिनाथ के बारे में मुख्य बिंदु

  • जन्म: भगवान आदिनाथ का जन्म युग के प्रारंभ में चैत्र कृष्ण नवमी को राजा नाभिराय और माता मरूदेवी के घर हुआ था.
  • ज्ञान और शिक्षा: उन्हें जन्म से ही सभी शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त था. वे 72 कलाओं और 64 विद्याओं के ज्ञाता थे.
  • पहले तीर्थंकर: भगवान ऋषभदेव ने संसार को कर्मों के बंधन से मुक्ति का मार्ग दिखाया और जैन धर्म में तीर्थंकरों की परंपरा की शुरुआत की.
  • मोक्ष प्राप्ति: भगवान आदिनाथ ने हिमालय के सर्वोच्च शिखर, अष्टापद पर्वत (जो मेरु पर्वत के समीप है), पर मोक्ष प्राप्त किया.

मोक्ष कल्याणक दिवस की महत्ता (Adinath Moksha Kalyanak Day)

यह दिन आत्मशुद्धि और मोक्ष की प्रेरणा देने वाला है. जैन अनुयायी इस दिन तप, पूजा, व्रत, और ध्यान करते हैं.

मेरु त्रयोदशी व्रत: इस व्रत का पालन करके भक्त भगवान आदिनाथ की भक्ति करते हैं और मोक्ष प्राप्ति की कामना करते हैं.