शशांक द्विवेदी, खजुराहो। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के बुंदेलखंड के छतरपुर जिले में स्थित खजुराहो अपने पश्चिमी समूह के मंदिरों के लिए जाना जाता है। जहां देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी पर्यटक आते है। वहीं यहां आदिवासी लोक जनजाति पर आधारित सांस्कृतिक गांव के रूप में स्थापित आदिवर्त ट्राइबल विलेज (Adivart Tribal Village MP) और म्यूजियम में 29 से 31 दिसंबर तक स्थापना दिवस मनाया जाएगा।
मध्यप्रदेश शासन ने खजुराहो में आने वाले सभी देशी-विदेशी पर्यटकों को आदिवासी, जनजातीय संस्कृति, रहन-सहन, सभ्यता और कला से परिचित कराने के लिए एक आदिवासी बस्ती विकसित की है। इस जनजातीय संग्रालय का नाम आदिवर्त है। वहीं 29 से 31 दिसंबर तक आदिवर्त ट्राइबल विलेज और म्यूजियम में स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाएगा। जिसमें आदिवासी जनजातियों पर आधारित लोकनृत्य और नाट्य श्रृंखला कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
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इसके साथ ही यहां तीन दिनों तक महादेव नाट्य लीला, गोंड समुदाय का गुदुमबाजा नृत्य, बुंदेलखंड का प्रसिद्ध आल्हा, कोरकू समुदाय का गदली, थापटी नृत्य, बुंदेलखंड का राई, बरेदी, महाराष्ट्र के कलाकारों द्वारा सौंगी मुखौटा नाट्य का मंचन किया जाएगा। साथ ही पारंपरिक शिल्प मेला, व्यंजन और विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियां कि जाएगी।
बतादें कि, आदिवर्त विलेज और संग्रहालय की स्थापना 2023 में 20 फरवरी को गई थी। हालांकि 20 से 26 फरवरी तक अंतर्राष्ट्रीय खजुराहो नृत्य समारोह आयोजित किया जाता है। इसीलिए आदिवर्त स्तगपना दिवस का आयोजन प्रतिवर्ष 29 से 31 दिसंबर तक हर वर्ष आयोजित किया जाएगा।
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