जितेंद्र सिन्हा, राजिम. फिंगेश्वर ब्लॉक के ग्राम पंचायत चैतरा में रवेली मार्ग के किनारे खुलेआम अवैध मुरुम खनन किया जा रहा है। यह सब प्रशासन की नाक के नीचे बेखौफ चल रहा है। शशि ट्रांसपोर्ट राजिम की हाईवा गाड़ियों से मुरुम का अवैध परिवहन किया जा रहा है, वहीं जेसीबी मशीन लगाकर मुरुम की खुदाई धड़ल्ले से की जा रही है। इससे शासन को भारी राजस्व का नुकसान हो रहा है। वहीं जानलेवा गड्‌ढों से ग्रामीणों की जान को खतरा बना हुआ है। कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है.

सरपंच पति बना खनन माफिया का सरगना?

मौके पर मौजूद चैतरा के सरपंच पति रवि साहू ने खुद को उस जमीन का मालिक बताया, लेकिन जब उनसे ठेकेदार का नाम पूछा गया तो उन्होंने अनभिज्ञता जताई। इसके बावजूद वे खुद मौके पर खड़े होकर अवैध खनन कार्य को संचालित करते दिखे। उन्होंने खुलेआम कहा, “सरपंच पर कार्रवाई करवा दो, हमें फर्क नहीं पड़ता।” रवि साहू का यह बयान यह दर्शाता है कि प्रशासन की कार्रवाई का कोई डर नहीं है।

जानलेवा गड्ढों से ग्रामीणों और बच्चों की जान को खतरा

अवैध खनन से रवेली से चैतरा मार्ग पर कई स्थानों पर 10 से 15 फीट गहरे गड्ढे बन चुके हैं। बरसात में इन गड्ढों में पानी भर जाने से पालतू मवेशियों और स्कूली बच्चों की जान खतरे में पड़ सकती है। यह इलाका अब एक बड़े हादसे को न्योता दे रहा है।

नशे में धुत ड्राइवर, पत्रकारों से की अभद्रता

अवैध खनन में लगे हाईवा ड्राइवर को मौके पर शराब और मांस के साथ नशे की हालत में पाया गया। ड्राइवर ने पत्रकारों से दुर्व्यवहार किया और कैमरे के सामने बेहिचक कहा – “दो बोतल पीकर भी गाड़ी चला लूंगा, किसी को क्या फर्क पड़ेगा।” इस बारे में जब पुलिस और SDM को सूचना दी गई तो ड्राइवर और जेसीबी ऑपरेटर वाहन लेकर मौके से भाग निकले।

प्रशासन बना मूकदर्शक

मामले की जानकारी मिलते ही राजिम SDM विशाल महाराणा ने तत्काल कार्रवाई की बात कहते हुए पटवारी और आरआई को भेजने की बात कही, लेकिन एक घंटे तक कोई भी अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचे. इसके बाद जब फिंगेश्वर तहसीलदार अंजली खलखो को सूचना दी गई तो उन्होंने रास्ते में गाड़ियों को पकड़ने की बात कही, लेकिन मौके से भागते खनन माफियाओं को रोकने कोई भी प्रशासनिक अमला नजर नहीं आया।

प्रशासनिक लापरवाही से माफियाओं के हौसले बुलंद

प्रशासन की उदासीनता ने मुरम माफियाओं को खुला संरक्षण दे दिया है। यह देखना बाकी है कि इस मामले में शासन-प्रशासन कब और क्या ठोस कार्रवाई करता है। अगर इसी तरह मुरुम का अवैध खनन जारी रहा तो पर्यावरण के साथ-साथ ग्रामीणों की जान भी खतरे में पड़ सकती है।