Advance Tax Deadline: जैसे-जैसे एडवांस टैक्स की दूसरी किस्त जमा करने की 15 दिसंबर की डेडलाइन पास आ रही है, फ्रीलांसर, इन्वेस्टर और छोटे बिजनेस मालिकों जैसे अनियमित इनकम वाले टैक्सपेयर्स को यह तय करना मुश्किल हो रहा है कि उन्हें एडवांस टैक्स देना है या नहीं और उन्हें कितना जमा करना चाहिए.
जबकि सैलरी पाने वाले लोगों का टैक्स हर महीने TDS के जरिए कट जाता है, वेरिएबल इनकम वाले लोगों को इंटरेस्ट और भारी एकमुश्त पेमेंट से बचने के लिए साल के बीच में पूरा कैलकुलेशन करना पड़ता है.
Also Read This: Share Market: इस लार्जकैप स्टॉक में जबरदस्त फायदा, ढाई साल में 1445% उछाल, अभी भी एंट्री का मौका?

एडवांस टैक्स किसे देना होता है?
एडवांस टैक्स हर उस व्यक्ति पर लागू होता है जिसकी पूरे साल की कुल टैक्स लायबिलिटी, TDS काटने के बाद, 10,000 रुपये या उससे ज़्यादा होती है. फॉरविस मजर्स इंडिया में डायरेक्ट टैक्स के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अवनीश अरोड़ा बताते हैं कि यह नियम सैलरी पाने वाले और बिना सैलरी वाले दोनों तरह के लोगों पर समान रूप से लागू होता है.
हालांकि सैलरी पाने वाले लोगों का ज़्यादातर टैक्स TDS से कवर हो जाता है, लेकिन जहां TDS कम पड़ता है, वहां एडवांस टैक्स जरूरी हो जाता है. यह टैक्स सैलरी, बिजनेस इनकम, किराया, इंटरेस्ट और कैपिटल गेन जैसे सभी इनकम सोर्स पर लागू होता है. हालांकि, 60 साल से ज़्यादा उम्र के निवासी सीनियर सिटीजन को छूट है, बशर्ते उनकी कोई बिज़नेस या प्रोफेशनल इनकम न हो.
Also Read This: RBI की Policy से मार्केट में जबरदस्त उछाल: Nifty फिर All-Time High के करीब, क्या बन रहा है डबल टॉप पैटर्न?
15 दिसंबर सबसे जरूरी तारीख क्यों है?
15 दिसंबर तक, टैक्सपेयर्स को पूरे फाइनेंशियल ईयर के लिए अपने अनुमानित टैक्स का कम से कम 75% जमा करना होता है. यह एडवांस टैक्स की सबसे बड़ी और सबसे ज़रूरी किस्त है. अवनीश अरोड़ा के अनुसार, अगर इस तारीख तक 75% टैक्स जमा नहीं किया जाता है,
तो इनकम टैक्स एक्ट की धारा 234C के तहत इंटरेस्ट लगेगा, भले ही बाकी टैक्स बाद में रिटर्न फाइल करते समय दिया जाए. यह देरी उन लोगों के लिए खास तौर पर मुश्किल होती है जिनकी इनकम स्थिर नहीं होती, जैसे कैपिटल गेन से होने वाली इनकम या प्रोजेक्ट-बेस्ड इनकम.
Also Read This: एक हफ्ते में चांदी 5 अंक और सोना 4 अंक महंगा! जानिए कैसे चांदी ने निवेशकों को मालामाल किया
अगर डेडलाइन मिस हो जाए तो क्या होगा?
अगर एडवांस टैक्स समय पर नहीं दिया जाता है या कम दिया जाता है, तो इसका सीधा नतीजा इंटरेस्ट चार्ज के रूप में होता है. पेमेंट में देरी के लिए धारा 234C के तहत इंटरेस्ट लगता है, और अगर पूरे साल के लिए दिया गया एडवांस टैक्स असल टैक्स लायबिलिटी से काफी कम है, तो धारा 234B के तहत अतिरिक्त इंटरेस्ट भी लगता है.
यह ध्यान रखना जरूरी है कि इससे रिटर्न फाइल करते समय आपको ज़्यादा टैक्स देना पड़ सकता है, जिससे आपकी पूरी टैक्स प्लानिंग खराब हो सकती है. अरोड़ा बताते हैं कि TDS और दूसरे क्रेडिट काटने के बाद बचा हुआ टैक्स सेल्फ-असेसमेंट टैक्स के तौर पर देना होता है, लेकिन अगर कम एडवांस टैक्स दिया गया है, तो इस बची हुई रकम पर ज़्यादा इंटरेस्ट लगता है.
Also Read This: Airtel ने हटाए दो पॉपुलर प्लान, अब ये नए ऑप्शन रहेंगे उपलब्ध
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें


