दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह काफी समय से गांधीनगर सीट पर उम्मीदवार बदलना चाहते थे। अमित शाह खुद यहां से चुनाव लड़ने के इच्छुक थे, लेकिन भाजपा के संस्थापक, भारतीय राजनीति के सबसे उम्र दराज लाल कृष्ण आडवाणी को क्रॉस कर पाना इतना आसान नहीं था।

सूत्र बताते हैं इसके लिए प्रधानमंत्री ने खुद कई बार पहल की। कई बार चर्चा में आडवाणी से उनके चुनाव लड़ने का जिक्र छेड़ा, लेकिन आडवाणी ने पहले कभी स्पष्ट जवाब नहीं दिया।

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार दिल्ली के रामलीला मैदान में राष्ट्रीय अधिवेशन तक शीर्ष नेतृत्व यह साहस नहीं जुटा पा रहा था। बताते हैं 75 साल से अधिक उम्र के लोगों को टिकट देने या न देने के निर्णय में भी सबसे.बड़ी बाधा आडवाणी ही थे। लेकिन ऑपरेशन बालाकोट ने भाजपा नेतृत्व और प्रधानमंत्री को उत्साह से भर दिया।

बताते हैं आखिरी पहल भी आडवाणी जी के.सामने की गई। उनसे खुद चुनाव न लड़ने और अपने पसंद के उम्मीदवार को बताने के लिए कहा गया। प्रस्ताव में गांथीनगर की सीट से आडवाणी जी की बेटी को उम्मीदवार बनाने तक का प्रस्ताव हुआ।

आडवाणी ने कहा कि उन्होंने जीवन भर राजनीति में परिवारवाद का विरोध किया है। इसके बाद आडवाणी ने मंतव्य समझकर गांथीनगर से चुनाव न लड़ने की इच्छा जाहिर की और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने प्रधानमंत्री से मशविरा करके उम्मीदवार बदल लिया। अब अमित शाह गांधीनगर से भाजपा का चेहरा होंगे।