बिलासपुर। कोरोना काल में न्यायालयों का काम एक तरह से ठप पड़ा है. ऐसे में अधिवक्ताओं के अलावा उनके क्लर्क भी आर्थिक कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं. परिवार के भरण-पोषण में आ रही दिक्कत को देखते हुए क्लर्कों ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति को पत्र लिखकर मदद की गुहार लगाई है.

उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति को अधिवक्ताओं के लिपिकों के प्रतिनिधि के तौर पर पत्र लिखकर संदीप कुमार शर्मा ने बताया कि पंजीकृत अधिवक्ताओं के लिपिक भी छग उच्च न्यायालय के न्यायिक कार्यों के एक अंग के तौर पर है. इन लिपिकों के पास अधिवक्ताओं के द्वारा दिए गए न्यायिक कार्यों के अलावा आय के साधन के तौर पर अन्य कार्य नहीं है.

कोरोना महामारी की वजह से लगाए गए लॉकडाउन में लिपिकों के पास कार्य का अभाव होने की वजह से जीवन यापन का संकट उत्पन्न हो गया है. लिपिकों की स्थिति को ध्यान में रखते हुए मुख्य न्यायाधिपति से उनके लिए न्यायोचित आदेश जारी करने के साथ उचित व्यवस्था करने की मांग की है.

संदीप कुमार ने बताया कि उच्च न्यायालय परिसर में में 100-120 लिपिक अधिवक्ताओं के निर्देश पर कार्य करते हैं. इनकी औसतन महीने की आमदनी सामान्य समय में लगभग 10 से 15 हजार रुपए की होती है. लेकिन कोरोना काल की वजह से न्यायालयीन कार्य प्रभावित होने की वजह से इनकी आमदनी प्रभावित हुई है.

एडवोकेट एक्ट 1961 के तहत यह बार काउंसिल ऑफ इंडिया और स्टेट बार काउंसिल पर अधिवक्ताओं से जुड़े लोगों के कल्याण की जिम्मेदारी है. इसे ध्यान में रखते हुए लिपिकों ने मुख्य न्यायाधिपति से मदद की गुहार लगाई है.