रायपुर. देशभर में अधिवक्ताओं द्वारा अपनी 10 सूत्रीय मांग को लेकर धरना प्रदर्शन दिया जा रहा है. यह प्रदर्शन बार कौंसिल ऑफ इण्डिया के आह्वान किया गया है. इसी क्रम में राजधानी के वकील भी न्यायालय परिसर में धरना दे रहे हैं औऱ राज्यपाल को ज्ञापन सौपेंगे. छत्तीसगढ़ में भी करीब 30 हजार अधिवक्ताओं धरने पर बैठे हैं. अधिवक्ताओं के धरने के चलते न्यायालयीन कामकाज पूरी तरह से ठप हो गया है. कोर्ट में अपने कामों को लेकर पहुंच रहे आम लोग परेशान हो रहे हैं. जबरन इधर-उधर भटकने को मजबूर है. अधिवक्ताओं की 20 लाख का बीमा, बेहतर चिकित्सा सुविधा और न्यायालयों में नियुक्ति समेत 10 मांगे शामिल है.

धरने पर बैठे अधिवक्ताओं ने कहा कि भारत में हर तबका समस्याओं से ग्रस्त है, जिसमें हमारा ये तबका जो आजादी के आंदोलन के भूमिका निभा चुका है वो भी त्रस्त है. कोई भी सरकार अधिवक्ता हितों में काम नहीं करती, हमारी मांग है कि जहां पर जजो की नियुक्ति होती है उसमें अधिवक्ताओं को भी मौका दिया जाए. साथ ही हमारी 9 मांगे है. हमारी जायज मांगों के बारे के सुनवाई नहीं करती. इसलिए आज बार कॉउंसिल इंडिया के आह्वान पर न्यायालयीन कामकाज से दूर है. हम ऐसे तबके के है जो लोगों के कानून के लिए लड़ाई लड़ लेता है, लेकिन अपने लिए लड़ाई नहीं लड़ पाता. इसलिए अधिवक्ता अपनी स्वयं की लड़ाई के लिए उतरा है. जनता को किसी प्रकार की परेशानी हो रही है उसके लिए हम खेद व्यक्त करते है.

ये हैं प्रमुख मांगे…

  • अधिक्ताओं एवं परिवार (आश्रित ) के लिए 20 लाख रूपए तक का बीमा कवरेज.
  • अधिवक्ताओं के लिए भारत एवं विदेशों के सर्वश्रेष्ठ अस्पतालों में मुफ्त में चिकित्सकीय सुविधा/मेडिक्लेम प्रदान किया जाए. इसके लिए स्पेशल कार्ड उपलब्ध कराई जाए ताकि चिकित्सकीय सुविधा का लाभ प्राप्त हो सके.
  • शुरूआती तौर पर विधि व्यवसाय में जुड़ने वाले अधिवक्ताओं को 5 वर्ष तक कम से कम 10 हजार रूपये प्रतिमाह स्टायफण्ड प्रदान किया जाए.
  • वृद्ध/निर्धन अधिवक्ताओं के असामयिक मृत्यु होने पर कम से कम 50 हजार रूपए प्रतिमाह फेमिली पेंशन प्रदान किया जाए.
  • संसद द्वारा अधिवक्ताओं के संरक्षण के लिए अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम, अधिनियमित किया जाए.
  • सभी अधिवक्ता संघों को भवन/निवास स्थान/बैठक व्यवस्था तथा लायब्रेरी, ई-लायब्रेरी उपलब्ध कराई जायें साथ ही महिला अधिवक्ताओं के लिये से शौचालय व्यवस्था उपलब्ध कराई जाए.
  • व्याज मुक्त होमलोन लायब्रेरी लोन, वाहन लौन, प्रदान किया जायें सरकार द्वारा सस्ते मूल्य पर अधिवक्ताओं के लिये गृह निर्माण की व्यवस्था की जाए.
  • विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम में इस प्रकार से संशोधन किया जाए कि अधिवक्ता अपने कर्तव्यों के निर्वहन करने में समर्थ हो सके.
  • सभी अधिनियम जो सेवा निवृत्त न्यायाधीश/न्यायिक अधिकारियों को विभिन्न अधिकरण आयोग, फोरम, प्राधिकरण, में उनकी सेवा निवृत्ति उपरांत नियुक्ति उपरांत नियुक्ति की जाती है उसमें संशोधन किया जाए. उपरोक्त व्यवस्था में सक्षम अधिवक्ताओं को भी इसमें नियुक्ति की जाए.
  • यदि किसी कारण वश जैसे दुर्घटना, हत्या, किसी बीमारी से G5 वर्ष से कम उम्र की आयु के किसी अधिवक्ता की मृत्यु होने पर उनके परिवार/आश्रितों को 50 लाख रूपये का अनुदान प्रदान किया जाए.